Tuesday, 30 May 2017

बायोटेक पार्क के पूर्व CEO पर FIR, करोड़ों के खर्च का हिसाब नहीं

(रणविजय सिंह, 6 मई, बायोटेक पार्ट थ्री)

बायोटेक पार्क की जमीन का बड़ा हिस्सा निजी कंपनियों को बिजनेस करने के लिए दिए जाने और बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता के आरोप में यहां के पूर्व सीईओ के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। गड़बड़ियों की शिकायत पर शासन स्तर से करायी गई जांच में यहां करोड़ों रुपये के खर्च का हिसाब ही नहीं मिला था। एनबीटी ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद यह बड़ी कार्रवाई हुई है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक बायोटेक पार्क से जुड़े कैश बुक, लेजर और किराए से जुड़े दस्तावेज संदिग्ध हैं। इनपर कार्यालय टिप्पणी और नोट्स तक नहीं हैं।
बायोटेक पार्क में गड़बड़ियों की शिकायत पर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव हिमांशू कुमार ने जांच के आदेश दिए थे। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक एलडीए से रिमोट सेंसिंग सेंटर को मिली 36 एकड़ जमीन में से वर्ष 2003 में बायोटेक पार्क बनाने के लिए आठ एकड़ जमीन दी गई थी। बायोटेक पार्क के अधिकारियों ने इस आठ एकड़ जमीन में से करीब 80 हजार वर्ग फीट क्षेत्र तीन निजी कंपनियों को मामूली दर पर किराए पर दे दी। इसके बाद यहां इन कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री, स्टोर और कार्यालय के लिए पक्का निर्माण करा लिया। एनबीटी ने इस गड़बड़ी का खुलासा किया, इसके बाद बायोटेक पार्क और मामूली दरों पर जमीन लेने वाली कंपनियों को जवाब नहीं सूझ रहा है।

प्रमुख सचिव के आदेश पर भी नहीं दर्ज हो रही थी एफआईआर :
विज्ञान एवं प्रद्योगिकी के प्रमुख सचिव हिमांशू कुमार ने बायोटेक पार्क में लम्बे समय से चल रही गड़बड़ियों की जांच करायी, जिसमें चौंकाने वाली गड़बड़ियां सामने आयीं। इसके मुताबिक उन्होंने एफआईआर के आदेश दिए। प्रमुख सचिव के निर्देश पर भी गुडंबा थाने की पुलिस एफआईआर नहीं दर्ज कर रही थी। कई बार रिमाइंडर के बाद भी एफआईआर नहीं हुई तो उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी। इसके बाद गुरुवार को कार्रवाई के लिए फाइल मुख्य सचिव को भेजे जाने की तैयारी थी लेकिन इस बीच एनबीटी में खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।

पहले तहरीर दी गई थी, उसमें केवल कंपनियों को नामजद किया गया था। हमने सही तहरीर देने के लिए कहा था, इसके चलते देर हो रही थी। अब सही तरीके से तहरीर देकर बायोटेक पार्क के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। इसके बाद हमने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
राजकुमार सिंह, इंस्पेक्टर
गुडंबा

No comments:

Post a Comment

तो क्या बड़े अस्पताल मरीज को भर्ती कर डकैती डालने पर आमादा हैं

समय रहते रजनीश ने अपने नवजात शिशु को अपोलो मेडिक्स से जबरन डिस्चार्ज न कराया होता तो मुझे आशंका है कि 15 से 20 लाख रूपए गंवाने के बाद भी अपन...