Tuesday, 30 May 2017

5 साल से गायब कर्मचारी को अपने यहां तैनात दिखा कर दिया नियमित

(रणविजय सिंह, पांच मई 2017, पार्ट थ्री)

एलयू के कुलसचिव कार्यालय पर 'चिराग तले अंधेरा' कहावत सटीक बैठती है। संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कुलसचिव कार्यालय ने जो 128 कर्मचारियों की सूची शासन को भेजी है, उसमें अंगद कुमार नामक कर्मचारी का भी नाम है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह कर्मचारी पिछले पांच साल से गायब चल रहा है। इसकी उपस्थिति और मौजूदगी का कोई दस्तावेज एलयू में नहीं है। इसके बावजूद कुलसचिव कार्यालय ने इसे अपने यहां तैनात दिखाते हुए नियमित किए जाने की सिफारिश कर दी गई। मामला खुलने के बाद एलयू अधिकारी इसे गलती बता रहे हैं तो कर्मचारी संघ इसके लिए अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठा रहा है।
शासन ने एलयू के संविदा, दैनिक वेतन और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश दिया लेकिन एलयू अधिकारियों ने इस आदेश को ढ़ाल बनाते हुए जिसे चाहा उसे नियमित कर दिया। एनबीटी ने इस गड़बड़ी को प्रमुखता से प्रकाशित किया, इसके बाद इस पूरे मामले की जांच के आदेश हो गए। इस बीच पड़ताल के दौरान नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े का नया खुलासा हुआ। कर्मचारी महासंघ के मुताबिक एलयू अधिकारियों ने संविदा कर्मचारियों के लिए जारी हुए शासनादेश के बहाने ऐसे कई कर्मचारियों को भी नियमित कर दिया, जो एलयू छोड़ चुके थे। महासंघ के महामंत्री रिंकू राय का आरोप है कि इसके पीछे बड़े पैमाने पर 'डील' हुई है, जिसकी जांच होनी चाहिए।

कुलसचिव कार्यालय की भूमिका पर सवाल :
कुलसचिव कार्यालय ने पिछले साल 26 जून को एलयू में संविदा, दैनिक वेतन और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मचारियों की जो सूची शासन को भेजी, उसमें 64वें नंबर पर अंगद कुमार का नाम दर्ज है। इसे कुलसचिव कार्यालय में तैनात दिखाया गया है। ऐसे में साफ है कि सूची तैयार करने से पहले इस बात की पड़ताल तक नहीं की गई कि कर्मचारी तैनात भी है या नहीं। कर्मचारी महासंघ के मुताबिक कुलसचिव कार्यालय ने सूची तैयार करने से पहले दूसरे विभागों से भी कोई ब्योरा नहीं मांगा और बंद कमरे में बैठकर 128 कर्मचारियों की सूची फाइनल कर दी गई।

परीक्षा सेल में था अंगद, गायब हो गया :
एलयू दस्तावेजों के मुताबिक अंगद कुमार पांच साल पहले परीक्षा विभाग के एक सेल में दैनिक वेतन पर काम करता था। पांच साल से उसका कोई पता नहीं है। सेल में उसकी उपस्थिति या मौजूदगी का कोई दस्तावेज नहीं है। इसके बावजूद एलयू अधिकारियों ने उसे नियमित करने की सिफारिश भेज दी है।

एलयू से भेजी गई सूची में 31 आपत्तियां हैं। हमने हर आपत्ति के सुबूत एलयू और शासन के अधिकारियों को सौंप दिए हैं। इस मामले में अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई अधिकारियों को जेल भी जाना पड़ सकता है।
रिंकू राय, महामंत्री
उप्र राज्य विवि कर्मचारी महासंघ

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