Sunday, 15 September 2019

सबसे देर में शुरू हुआ और सबसे पहले बनकर तैयार हो गया

(रणविजय सिंह, मेट्रो पार्ट 13, 28 फरवरी 2019)

‘सर, बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान ( बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट) की तरफ से जमीन को लेकर अब तक एनओसी नहीं मिली है। उनकी हां, ना और देखेंगे के चक्कर में विवि मेट्रो स्टेशन का काम जमीन पर शुरू भी नहीं हो सका है, जबकि बाकी स्टेशन आधे से ज्यादा बनकर तैयार भी हो चुके हैं।‘ इससे पहले कि चीफ कोई जवाब देते साइट इंजिनियर ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा ‘जल्द ही एनओसी नहीं मिली या हमने दूसरी योजना पर काम शुरू नहीं किया तो इस स्टेशन के चलते पूरा प्रॉजेक्ट लेट हो जाएगा।‘ पूरी बात सुनने के बाद चीफ इंजिनियर ने चिंतित स्वर में कहा ‘मुझे नहीं लगता कि बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट की जमीन हमें मिल सकेगी, शासन का दबाव जब तक काम करेगा, तब तक हमारा काम काफी पीछे जा चुका होगा। हमें दूसरी योजना पर ही काम करना होगा‘।

चीफ इंजिनियर ने आला अधिकारियों को ग्राउंड रिपोर्ट भेजकर जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया। रिपोर्ट के मुताबिक डिजाइन में बदलाव कर मेट्रो के विवि स्टेशन को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के सामने से हटाकर एलयू के गेट नंबर तीन पर बनाया जाना था। शासन को हालात से अवगत कराते हुए लखनऊ युनिवर्सिटी प्रशासन से एनओसी मांगी गई। एलयू के मेन गेट (सिंह द्वार) से गेट नंबर चार तक सड़क की तरफ से चहारदीवार पहले ही मेट्रो निर्माण के लिए तोड़ी जा चुकी थी। ऐसे में एलयू ने गेट नंबर तीन पर स्टेशन के लिए भी जमीन देने में कोई संकोच नहीं जताया। एलयू से जमीन मिलने के बाद डिजाइन में बदलाव को भी मंजूरी मिल गई। जमीन मिलने के बाद भी विवि स्टेशन का काम देख रहे अधिकारी और इंजिनियरों के सामने इस रूट के बाकी स्टेशनों से पिछड़ने और जल्दी काम पूरा करने की चुनौती बनी हुई थी। चीफ इंजिनियर ने सबकी चिंताओं को दूर करते हुए ऐसी बात कही जिसपर किसी के लिए भी यकीन करना मुश्किल था। चीफ इंजिनियर बोले ‘चारबाग से मुंशीपुलिया के बीच सबसे पहले बनकर तैयार होने वाला स्टेशन विवि मेट्रो स्टेशन होगा’। साथी इंजिनियर ने चौंकते हुए पूछा ‘कैसे?’ चीफ इंजिनियर ने सधा हुआ जवाब दिया ‘अब तक गर्डर, से लेकर पीयर कैप तक अमौसी स्थ्ज्ञित कास्टिंग यार्ड से आता था, जिसमें 12 से 24 घंटे का समय लगता था लेकिन अब एलयू स्टेशन के सामने ही नया कास्टिंग यार्ड भी बनकर तैयार हो चुका है। ऐसे में विवि स्टेशन की जरूरत का हर सामान चंद कदम दूर इसी कास्टिंग यार्ड से मिलना है।’



नए कास्टिंग यार्ड ने बढ़ायी काम की तेजी :

मेट्रो के प्रियॉरिटी रूट (टीपी नगर सेचारबाग) का काम पूरा होने के बादअमौसी स्थित कास्टिंग यार्ड से चारबाग के आगे वाले मेट्रो रूट से काफी दूर पड़ रहा था। इस बीच विवि मेट्रो स्टेशन के लिए एलयू की जमीन मिलने के साथ ही काल्विन में चार हेक्टेयर जमीन पर नया कास्टिंग यार्ड भी बनकर तैयार हो गयाा। ऐसे में केडी सिंह बाबू स्टेडियम से लेकर मुंशीपुलिया तक के लिए गर्डर, पाइल और पियर कैप समेत जिन चीजों की आपूर्ति अमौसी स्थित कास्टिंग यार्ड से हो रहा था, वो अब काल्विन कॉलेज पर बने कास्टिंग यार्ड से होने लगा। इसका सबसे बड़ा फायदा विवि मेट्रो स्टेशन को मिला, क्योंकि इसके ठीक सामने ही नया कास्टिंग यार्ड था। ऐसे में निर्माण से जुड़ी हर चीज स्टेशन  के सामने से ही आ जाती थी। यही नहीं विवि की परीक्षाएं भी लगभग खतम हो चुकी थीं, लिहाजा अगले करीब चार से पांच महीने तक विवि कैंपस स्टूडेंट्स से खाली था। ऐसे में यहां 24 घंटे बिना किसी बड़ी बाधा के काम जारी रखने का मौका मिल गया।



सही साबित हुआ दावा :

एलयू की जमीन मिलना प्रॉजेक्ट के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। यहां सिवाय चहारदीवारी के कुछ भी तोड़े बिना पाइलिंग के लिए बड़े पैमाने पर खाली जमीन मिल गई। यही नहीं सामने ही कास्टिंग यार्ड था, लिहाजा वहां से पाइलिंग, पाइल कैप और पियर कैप आसानी से पहुंचाए जाते रहे। नतीजा हुआ कि इस स्टेशन की खोदायी शुरू होने के वक्त जो स्टेशन 50 फीसदी बन चुके थे, उनकी फिनिशिंग होने से पहले ही विवि स्टेशन पूरी तरह से तैयार हो चुका था। विवि स्टेशन मार्च 2018 के पहले सप्ताह में बनना शुरू हुआ और इसी साल सितंबर के अंत तक बनकर तैयार हो गया।

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