(रणविजय सिंह, 29 मई, पार्ट वन)
एलयू के कई विभागों में मंगलवार को प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और असोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए होने वाली चयन समिति की बैठक पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। गड़बड़ियों और मनानी की आशंका जताते एलयू के कुछ शिक्षकों ने कुलपति डॉ़ एसपी सिंह और राजभवन से चयन समिति की बैठक स्थगित करने और इसकी जांच करवाने की मांग तक कर डाली है। आरोप है कि इन पदों के लिए केवल वही अभ्यर्थी आवेदन कर सकते थे, जो पीएचडी करवा रहे हों। इसके उलट इंटरव्यू के लिए कई ऐसे अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेज दिया गया है, जिन्होंने कभी किसी रिसर्च स्कॉलर को पीएचडी करायी ही नहीं। इसमें कुछ नाम निजी डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के भी हैं।
एलयू के संस्कृत विभाग में असेस्टेंट प्रोफेसर डॉ़ प्रयाग नारायण मिश्रा ने असोसिएट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया था। डेढ़ साल पहले असोसिएट प्रोफेसर के लिए बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने उनका नाम ही नहीं भेजा, जबकि वर्ष 2004 में उन्हें बकायदा इसी पद के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू तक के लिए बुलाया गया था। हालांकि उस समय उनका चयन नहीं हो सका था। आज होने वाली चयन समिति पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस पद के लिए डॉ़ विजय कर्ण, डॉ़ प्रमोद भारती, डॉ़ रीता तिवारी और डॉ़ विजय प्रताप सरकारी डिग्री कॉलेज और डॉ़ ब्रह्मनंद पाठक एक निजी डिग्री कॉलेज में शिक्षक हैं। आरोप है कि इनमें से किसी ने कभी कोई पीएचडी नहीं करायी। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजने वाले एलयू के अधिकारी, एलयू में ही पिछले 10 वर्ष से पीएचडी करा रहे शिक्षकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं।
मनमानी का आरोप :
संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ़ देवेश कुमार मिश्रा ने एलयू पर सिलेक्शन के नाम पर मनमानी के गंभीर आरेाप लगाए। उनके मुताबिक असोसिएट प्रोफेसर के लिए आठ साल का टीचिंग एक्सपीरिएंस मांगा गया था लेकिन नौ साल का अनुभव होने के बावजूद उन्हें कॉल लेटर नहीं भेजा गया। डेढ़ साल पहले बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने उनका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया था। अब सिलेक्शन कमिटी की बैठक होने पर उन्होंने इसका कारण पूछा तो उन्हें इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। आरोप है कि अधिकरी उन्हें इधर से उधर दौड़ाते रहे।
चयन समिति की बैठक तय होने के बाद इन अभ्यर्थियों ने मुझे इसकी शिकायत की। डेढ़ साल पहले स्क्रीनिंग कमिटी ने इन शिक्षकों के नाम तय किए थे। अब सभी को कॉल लेटर भेजे जा चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी शिकायत का संज्ञान लिया जाएगा। गड़बड़ी या पक्षपात साबित हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।
डॉ़ एसपी सिंह, कुलपति
एलयू
एलयू के कई विभागों में मंगलवार को प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और असोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए होने वाली चयन समिति की बैठक पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। गड़बड़ियों और मनानी की आशंका जताते एलयू के कुछ शिक्षकों ने कुलपति डॉ़ एसपी सिंह और राजभवन से चयन समिति की बैठक स्थगित करने और इसकी जांच करवाने की मांग तक कर डाली है। आरोप है कि इन पदों के लिए केवल वही अभ्यर्थी आवेदन कर सकते थे, जो पीएचडी करवा रहे हों। इसके उलट इंटरव्यू के लिए कई ऐसे अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेज दिया गया है, जिन्होंने कभी किसी रिसर्च स्कॉलर को पीएचडी करायी ही नहीं। इसमें कुछ नाम निजी डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के भी हैं।
एलयू के संस्कृत विभाग में असेस्टेंट प्रोफेसर डॉ़ प्रयाग नारायण मिश्रा ने असोसिएट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया था। डेढ़ साल पहले असोसिएट प्रोफेसर के लिए बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने उनका नाम ही नहीं भेजा, जबकि वर्ष 2004 में उन्हें बकायदा इसी पद के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू तक के लिए बुलाया गया था। हालांकि उस समय उनका चयन नहीं हो सका था। आज होने वाली चयन समिति पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस पद के लिए डॉ़ विजय कर्ण, डॉ़ प्रमोद भारती, डॉ़ रीता तिवारी और डॉ़ विजय प्रताप सरकारी डिग्री कॉलेज और डॉ़ ब्रह्मनंद पाठक एक निजी डिग्री कॉलेज में शिक्षक हैं। आरोप है कि इनमें से किसी ने कभी कोई पीएचडी नहीं करायी। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजने वाले एलयू के अधिकारी, एलयू में ही पिछले 10 वर्ष से पीएचडी करा रहे शिक्षकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं।
मनमानी का आरोप :
संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ़ देवेश कुमार मिश्रा ने एलयू पर सिलेक्शन के नाम पर मनमानी के गंभीर आरेाप लगाए। उनके मुताबिक असोसिएट प्रोफेसर के लिए आठ साल का टीचिंग एक्सपीरिएंस मांगा गया था लेकिन नौ साल का अनुभव होने के बावजूद उन्हें कॉल लेटर नहीं भेजा गया। डेढ़ साल पहले बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने उनका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया था। अब सिलेक्शन कमिटी की बैठक होने पर उन्होंने इसका कारण पूछा तो उन्हें इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। आरोप है कि अधिकरी उन्हें इधर से उधर दौड़ाते रहे।
चयन समिति की बैठक तय होने के बाद इन अभ्यर्थियों ने मुझे इसकी शिकायत की। डेढ़ साल पहले स्क्रीनिंग कमिटी ने इन शिक्षकों के नाम तय किए थे। अब सभी को कॉल लेटर भेजे जा चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी शिकायत का संज्ञान लिया जाएगा। गड़बड़ी या पक्षपात साबित हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।
डॉ़ एसपी सिंह, कुलपति
एलयू
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