Tuesday, 8 August 2017

नहीं चली मनमानी, सभी नियुक्तियां खारिज

(रणविजय सिंह, 19 जून, पार्ट टू)

एलयू के कई विभागों में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और असोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियों को कार्य परिषद ने हरी झंडी देने से इंकार कर दिया है। पिछले महीने इंटरव्यू के बाद इन पदों के लिए नियुक्ति का प्रस्ताव सोमवार को कार्य परिषद के सामने मंजूरी के लिए रखा गया था, जिन्हें खारिज कर दिया गया। एनबीटी ने 30 मई को खबर प्रकाशित करते हुए संस्कृति विभाग समेत कुछ विभागों में मानकों की अनदेखी कर अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने का खुलासा किया था। सोमवार को कार्य परिषद ने एनबीटी की खबर पर मुहर लगाते हुए शिक्षक भर्ती से जुड़े सभी विज्ञापन और इंटरव्यू को खारिज कर दिया। साथ ही नए सिरे से विज्ञापन कर भर्तियों की कवायद शुरू करने का फैसला लिया है। कार्य परिषद के इस फैसले का असर उन विभागों पर भी पड़ेगा, जिनपर भर्ती के लिए जल्द ही इंटरव्यू होने का इंतजार किया जा रहा था।

जिसने कभी पीएचडी नहीं करायी, उन्हें भेज दिया था कॉल लेटर :
एलयू के संस्कृत विभाग में असेस्टेंट प्रोफेसर डॉ़ प्रयाग नारायण मिश्रा ने असोसिएट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्हें कॉल लेटर नहीं भेजा गया था। इस पद के लिए जिन्हें कॉल लेटर भेजा गया, उनमें शामिल डॉ़ विजय कर्ण, डॉ़ प्रमोद भारती, डॉ़ रीता तिवारी और डॉ़ विजय प्रताप सरकारी डिग्री कॉलेज और डॉ़ ब्रह्मनंद पाठक एक निजी डिग्री कॉलेज में शिक्षक हैं। आरोप है कि इनमें से किसी ने कभी कोई पीएचडी नहीं करायी। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजने वाले एलयू के अधिकारी, एलयू में ही पिछले 10 वर्ष से पीएचडी करा रहे शिक्षकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं।

अनुभव होने पर भी कर दया था बाहर :
संस्कृत विभाग के ही सहायक प्राध्यापक डॉ़ देवेश कुमार मिश्रा ने एलयू पर सिलेक्शन के नाम पर मनमानी के गंभीर आरेाप लगाए थे। उनके मुताबिक असोसिएट प्रोफेसर के लिए आठ साल का टीचिंग एक्सपीरिएंस मांगा गया था लेकिन नौ साल का अनुभव होने के बावजूद उन्हें कॉल लेटर नहीं भेजा गया। डेढ़ साल पहले बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने उनका नाम लिस्ट से बाहर कर दिया था। पिछले महीने अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजा गया तो उन्होंने पूछताछ शुरू की लेकिन अधिकारियों को कोई सही जवाब नहीं दिया था।

पिछली सरकार में तय हुए थे नाम :
एलयू में शिक्षकों की भर्ती के लिए जितने भी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू हुआ था, उनका नाम पिछली सरकार में बनी स्क्रीनिंग कमिटी ने तय किया था। माना जा रहा था कि इनमें से कई अभ्यर्थियों को सिलेक्ट करने के लिए स्क्रीनिंग कमिटी ने मानकों का पालन नहीं किया था। यही वजह है कि एनबीटी में खबर प्रकाशित होने के बाद इस संबंध में कई शिक्षकों ने राजभवन तक शिकायत दर्ज करायी। माना जा रहा है कि इसके बाद राजभवन ने एलयू से रिपोर्ट तलब कर ली थी। यही वजह है कि कार्य परिषद ने इंटरव्यू करने के बाद भी सभी भर्तियों को निरस्त करते हुए नए सिरे से विज्ञापन कर भर्तियां करने का फैसला किया है।

करीब डेढ़ साल पहले स्क्रीनिंग कमिटी ने जिन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए चुना था, उनकी शिकायत राजभवन से हुई थी। इस बीच भर्तियों से जुड़े कई नियम भी बदल गए हैं। ऐसे में राजभवन से निर्देश मिलने के बाद नए से भर्तियों का विज्ञापन किया जाएगा।
प्रो़ एनके पांडेय, प्रवक्ता
एलयू

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