Thursday, 19 July 2018

नगद भुगतान के बहाने हर महीने डेढ़ करोड़ की बंदरबांट


(रणविजय सिंह, दो मई)

- नगर निगम के कार्यकारिणी सदस्यों ने किया चौंकाने वाला खुलासा, अपर नगर आयुक्त ने जांच के लिए बनायी कमिटी
- सफाई कर्मचारियों की बैंक पास बुक में हुई एंट्री और उनके लिखित बयान लेकर पार्षदों ने आला अधिकारियों को सौंपे

Ranvijay.Singh1@timesgroup.com, लखनऊ
निजी एजेंसियों की तरफ से वार्डों में लगाए गए सफाई कर्मचारियों को नगद भुगतान के बहाने हर महीने एक से ड़ेढ़ करोड़ रुपये की बंदरबांट हो रही थी। आरोप है कि औसतन हर वार्ड में ऐसे 30 कर्मचारी लगाए गए हैं, जिनमें से आधे महज फर्जीवाड़े के लिए कागजों पर ही तैनात हैं। यही नहीं नगर निगम के खाते से इन कर्मचारियों के नाम पर हर महीने साढ़े सात हजार रुपये जारी किया जाता है जबकि कर्मचारियों को 5500 रुपये नगद भुगतान कर करोड़ों के वारे न्यारे किए जा रहे थे। कार्यकारिणी सदस्यों ने अपर नगर आयुक्त और नगर आयुक्त को पिछले दो साल के दरम्यान इन कर्मचारियों के बैंक खातों का ब्योरा और दूसरे दस्तावेज सौंपे हैं। इसके बाद इस मामले में जांच शुरू हो गई है।
कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार सिंह और विजय कुमार गुप्ता ने इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए इस खेल में महकमे के कई बड़े अधिकारियों के शामिल होने की आशंका जतायी है। राजकुमार सिंह के मुताबिक कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति का आदेश जारी होने के बावजूद भी इसे लागू नहीं किया गया। यही नहीं अधिकारियों ने बैंक खातों में सीधे वेतन भेजने की व्यवस्था को अचानक ही बदल दिया गया। इसका फायदा उठाते हुए कार्यदायी संस्था ने अधिकारियों संग मिलकर वेतन घोटाला कर डाला। विजय कुमार गुप्ता के मुताबिक लखनऊ के 110 वार्डों में करीब 3000 सफाई कर्मचारी लगे हैं। आरोप है कि इनमें से 1500 कर्मचारी महज कागजों पर ही हैं, जिनके वेतन के तौर पर जारी होने वाला करीब डेढ़ करोड़ रुपये निजी एजेंसी अपने मुनाफे और महकमे के अधिकारियों को कमीशन बांटने में खर्च करती है। कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार सिंह ने इन आरोपों के समर्थन में सफाई कर्मचारियों की पासबुक अधिकारियों के सामने पेश कर दी। इसमें वर्ष 2016 तक बैंक खातों में पैसा भेजा जाता था लेकिन उसके बाद यह व्यवस्था बदल दी गई और नगर निगम कर्मचारियों के बजाय एजेंसियों को भुगतान करने लगा। इसको लेकर पार्षदों ने 29 मार्च को हुए सदन में भी आवाज उठायी थी, हालांकि उस समय इसे महज आरोप मानते हुए गंभीरता से नहीं लिया गया था।

सफाई कर्मचारियों के लिए नगर निगम हर महीने साढ़े आठ हजार रुपये जारी करता है। इसमें से एक हजार के करीब एजेंसी का कमीशन होता है। इस कटौती के बाद भी कर्मचारियों को साढ़े सात हजार रुपये मिलना चाहिए लेकिन उन्हें महज 5500 रुपये भुगतान हो रहा है। इसके दस्तावेज अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं।
राजकुमार सिंह, कार्यकारिणी सदस्य
नगर निगम


मैने अपने वार्ड में कभी भी निजी एजेंसी के सभी कर्मचारी एक साथ नहीं देखे। जितने कर्मचारियों का दावा कर नगर निगम से भुगतान लिया जा रहा है, उसका आधा कर्मचारी भी काम नहीं कर रहा। फर्जी कर्मचारियों के नाम पर करीब एक से ड़ेढ़ करोड़ रुपये का खेल हो रहा है।
विजय कुमार गुप्ता, कार्यकारिणी सदस्य
नगर निगम


कार्यकारिणी सदस्यों की तरफ से शिकायत हुई है। इसके बाद इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जोनल अधिकारियों से एजेंसियों के सफाई कर्मचारियों का ब्योरा मांगा गया है। जांच के बाद दोषी पायी गई एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
नंदलाल सिंह, अपर नगर आयुक्त
नगर निगम

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