(रणविजय सिंह, तीन अगस्त, पार्ट वन)
लविवि के इकोनॉमिक्स, कॉमर्स और संस्कृत विभाग में शिक्षकों की नियुक्तियां खारिज होने के बाद अब इंजीनियरिंग फैकल्टी के लिए हो रहे इंटरव्यू पर भी विवाद खड़ा हो गया है। इस साल शुरू हो रही बीटेक कक्षाओं के लिए शिक्षकों का इंटरव्यू गुरुवार को शुरू हुआ लेकिन इसमें शामिल होने से वंचित रहने वाले एक अभ्यर्थी ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए रजिस्ट्रार, कुलपति और राजभवन से बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगा दिए हैं। अभ्यर्थी के मुताबिक इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों का चयन करने का कोई पारदर्शी मानक नहीं तय किया गया और नेट, पीएचडी और अनुभवी अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से बाहर कर ऐसे अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया जो बिना नेट किए पीएचडी हैं।
एपीआई स्कोर 49 था लेकिन दिए गए 48 :
राजभवन में शिकायत दर्ज कराने वाले देवेंद्र के मुताबिक वह सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में नियुक्त हैं। लविवि कंट्रैक्चुअल शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन देख उन्होंने आवेदन किया। इंटरव्यू से पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। अचानक दो अगस्त को इंटरव्यू की सूचना मिली लेकिन उन्हें कोई कॉल लेटर या सूचना नहीं दी गई। पूछने पर बताया गया कि केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को बुलाया गया है, जिनके एपीआई स्कोर 48 से ज्यादा हैं। देवेंद्र का दावा है कि उन्होंने दबाव डालकर अपना एपीआई स्कोर दोबारा गिनवाया तो उनके नंबर 49 आए लेकिन अधिकारी इसे संशोधित करने को तैयार नहीं थे। अधिकारियों ने उनके पेटेंट के लिए एक नंबर दिया ही नहीं था। देवेंद्र ने बताया कि हर सीट के लिए आठ अभ्यर्थियों को बुलाया गया था लेकिन केवल कैमिस्ट्री में ही एक सीट पर सात अभ्यर्थी बुलाए गए।
इंजीनियरिंग फैकल्टी के लिए इंटरव्यू शुक्रवार तक चलेगा। यह सही है कि एक सीट के लिए आठ अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। सवाल उठाना अभ्यर्थियों का अधिकार है, वह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रो़ राजकुमार सिंह, रजिस्ट्रार
लविवि
मैं इंजीनियरिंग के डीन, एलयू के कुलपति और रजिस्ट्रार के पास गया। उन्हें सारी जानकारी दी लेकिन इन सभी ने अब कुछ न होने की बात कह पल्ला झाड़ लिया। डीन ने माना कि एपीआई स्कोर में गलती हो गई है लेकिन वह इसमें सुधार करने को तैयार नहीं थे। अब मेरे पास अदालत जाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
देवेंद्र मिश्रा, अभ्यर्थी
लविवि के इकोनॉमिक्स, कॉमर्स और संस्कृत विभाग में शिक्षकों की नियुक्तियां खारिज होने के बाद अब इंजीनियरिंग फैकल्टी के लिए हो रहे इंटरव्यू पर भी विवाद खड़ा हो गया है। इस साल शुरू हो रही बीटेक कक्षाओं के लिए शिक्षकों का इंटरव्यू गुरुवार को शुरू हुआ लेकिन इसमें शामिल होने से वंचित रहने वाले एक अभ्यर्थी ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए रजिस्ट्रार, कुलपति और राजभवन से बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगा दिए हैं। अभ्यर्थी के मुताबिक इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों का चयन करने का कोई पारदर्शी मानक नहीं तय किया गया और नेट, पीएचडी और अनुभवी अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से बाहर कर ऐसे अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया जो बिना नेट किए पीएचडी हैं।
एपीआई स्कोर 49 था लेकिन दिए गए 48 :
राजभवन में शिकायत दर्ज कराने वाले देवेंद्र के मुताबिक वह सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में नियुक्त हैं। लविवि कंट्रैक्चुअल शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन देख उन्होंने आवेदन किया। इंटरव्यू से पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। अचानक दो अगस्त को इंटरव्यू की सूचना मिली लेकिन उन्हें कोई कॉल लेटर या सूचना नहीं दी गई। पूछने पर बताया गया कि केवल उन्हीं अभ्यर्थियों को बुलाया गया है, जिनके एपीआई स्कोर 48 से ज्यादा हैं। देवेंद्र का दावा है कि उन्होंने दबाव डालकर अपना एपीआई स्कोर दोबारा गिनवाया तो उनके नंबर 49 आए लेकिन अधिकारी इसे संशोधित करने को तैयार नहीं थे। अधिकारियों ने उनके पेटेंट के लिए एक नंबर दिया ही नहीं था। देवेंद्र ने बताया कि हर सीट के लिए आठ अभ्यर्थियों को बुलाया गया था लेकिन केवल कैमिस्ट्री में ही एक सीट पर सात अभ्यर्थी बुलाए गए।
इंजीनियरिंग फैकल्टी के लिए इंटरव्यू शुक्रवार तक चलेगा। यह सही है कि एक सीट के लिए आठ अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। सवाल उठाना अभ्यर्थियों का अधिकार है, वह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रो़ राजकुमार सिंह, रजिस्ट्रार
लविवि
मैं इंजीनियरिंग के डीन, एलयू के कुलपति और रजिस्ट्रार के पास गया। उन्हें सारी जानकारी दी लेकिन इन सभी ने अब कुछ न होने की बात कह पल्ला झाड़ लिया। डीन ने माना कि एपीआई स्कोर में गलती हो गई है लेकिन वह इसमें सुधार करने को तैयार नहीं थे। अब मेरे पास अदालत जाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
देवेंद्र मिश्रा, अभ्यर्थी
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