Wednesday, 25 January 2012

लोकल से ग्लोबल हुई हमारी हिंदी

published in dainik jaagran 
लखनऊ, 25 जनवरी : हिंदी बढ़ रही है। क्षेत्रीय दहलीजों को लांघ कर वह अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर छा जाने को पूरी तरह तैयार है। तमाम चुनौतियों के बीच हिंदी लिखने और पढ़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बाजार भी इसकी ताकत से परिचित है, शायद इसीलिए विश्र्व की तमाम भाषाओं में रचे गए श्रेष्ठ साहित्य का हिंदी में तेजी से अनुवाद हो रहा है। तकनीक ने तो इसके विकास में क्रांति ही ला दी। ब्लॉग के जरिए जहां एक तरफ हिंदी में लिखने वालों का नया वर्ग पैदा हो गया हैं, वहीं इसे पढ़ने और सराहने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। आलम यह है कि गूगल पर हिंदी ब्लॉग लिखते ही कंप्यूटर स्क्रीन पर दस लाख विकल्प आपके सामने आ जाते हैं। हिंदी के बढ़ते प्रभाव का ही नतीजा है कि इंटरनेट पर वेबसाइटों के डोमेन नाम से संबंधित नियम बनाने वाली संस्था आईकैन ने हिंदी में नामों के पंजीकरण की शुरूआत करने की तैयारी कर ली है। अब हिंदी में पाइए डोमेन नाम इंटरनेट पर वेबसाइट का पता अंग्रेजी में लिखना होता है। क्या आपने कभी सोचा कि यह हिंदी या भारतीय भाषाओं में होता तो ज्यादा देशवासियों के लिए इस्तेमाल में आता। यदि यह बात आपको परेशान करती है तो निराश न हों, जल्द ही ऐसा मुमकिन होने वाला है। इंटरनेट पर डोमेन नेम के लिए नियम कायदे बनाने वाली संस्था आईकैन (इंटरनेट कारपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स) ने हिंदी में डोमेन नाम के पंजीकरण पर अपनी सहमति दे दी है। भारत में डोमेन नामों के नियंत्रण का जिम्मा नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया के पास है, जिसने कुछ वर्षो पहले डॉट इन (.द्बठ्ठ) व डॉट को डॉट इन (.ष्श्र.द्बठ्ठ) का आवंटन किया था। यह नाम काफी लोकप्रिय भी थे। अब इन डोमेन नामों का अंत भारत से होगा। यानी दैनिक जागरण.इन की जगह दैनिक जागरण.भारत। इसके तकनीकी पक्ष पर काम चल रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो मार्च के अंत तक देवनागरी में यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी। देवनागरी लिपि कई भाषाओं में प्रयोग की जाती है, लिहाजा हिंदी के साथ मराठी, संस्कृत, नेपाली व कोंकणी सहित अन्य भाषाएं भी लाभान्वित होंगी। अनुवादित साहित्य हिंदी के विकास के साथ उसके पढ़ने वालों का एक बड़ा वर्ग तैयार हो गया है। इसको देखते हुए विश्र्व की तमाम भाषाओं में लिखे गए साहित्य का तेजी से हिंदी में अनुवाद हो रहा है। हिंदी के बड़े बाजार को देखते हुए अंग्रेजी में लिखने वाले अपने मूल संस्करण के साथ हिंदी अनुवाद भी ला रहे हैं। हिंदी के पाठकों के लिए रोहिंटन मिस्त्री, मणिशंकर अय्यर, सुधीर कक्कड़, अरुंधती रॉय, खुशवंत सिंह या चेतन भगत के साहित्य भी सहज उपलब्ध हैं, वह भी हिंदी में। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन भी पेंगुइन बुक्स और प्रेंटिस हॉल। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इन प्रकाशकों को अंग्रेजी साहित्य के प्रकाशन के लिए जाना जाता है। यह हिंदी के बढ़ते प्रभाव का नतीजा है कि पेंगुइन ने बीते एक दशक से हिंदी में पुस्तकों का प्रकाशन शुरू कर दिया है। हालांकि इनके द्वारा प्रकाशित साहित्य में ज्यादातर अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाए लेखकों की पुस्तकें होती हैं। वहीं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक प्रकाशन का दावा करने वाले प्रेंटिस हॉल प्रकाशन ने भी हिंदी में पुस्तकों का प्रकाशन शुरू कर दिया है।

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