रणविजय सिंह लखनऊ, 22 जनवरी : अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी।। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की दयनीय दशा का चित्र प्रस्तुत करते हुए एक कवि ने दशकों पहले ये लाइनें लिखी थीं। यह आज भी कितनी प्रासंगिक हैं, इसकी एक झलक मिलती है संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के किडनी प्रत्यारोपण विभाग में। यहां करीब 80 प्रतिशत अंगदाता महिलाएं हैं, उनमें भी साठ प्रतिशत पत्िनयां लेकिन जिन पत्िनयों का यह महादान भी उनके पतियों का जीवन नहीं बचा पाता, उन्हें प्रताड़ना मिलती है। परिवार दुखियारी महिला को देखना तक गवारा नहीं करता। यही नहीं घर की चौखट से धकेलने से भी गुरेज नहीं करता। सूबे में किडनी प्रत्यारोपण का एकमात्र संस्थान एसजीपीजीआइ है। किडनी की बीमारी से पीडि़त विमला (बदला हुआ नाम) के पति का प्रत्यारोपण भी यहीं होना था। आठ महीनों बाद नवंबर 2011 में ऑपरेशन हुआ तो कोई रिश्तेदार मदद को नहीं आया। सास ससुर भी मुंह मोड़े रहे। विमला ने अपने दम पर इलाज करवाया और अपनी किडनी भी दी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उसका यह महादान भी पति का जीवन न बचा सका। इसके बाद तो जैसे विमला पर दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा। ससुराल वालों ने मौत के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहरा दिया। दिन-ब-दिन परिवार वालों के ताने और उत्पीड़न बढ़ता गया। पति की मौत हुए महीना भी नहीं बीता था कि सबने उसे संपत्ति से बेदखल कर घर से निकाल दिया। दो बच्चों के साथ बेसहारा विमला सड़क पर आ गई। ऐसे में एसजीपीजीआइ ने सहारा दिया। नाबालिग बच्चों के साथ उसका गुजारा चल सके इसके लिए उसे संविदा पर नौकरी देने की तैयारी चल रही है। संस्थान में यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले करीब पांच महिलाओं को ठीक ऐसी ही परिस्थितियों में संविदा पर नौकरी दी जा चुकी है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तो क्या बड़े अस्पताल मरीज को भर्ती कर डकैती डालने पर आमादा हैं
समय रहते रजनीश ने अपने नवजात शिशु को अपोलो मेडिक्स से जबरन डिस्चार्ज न कराया होता तो मुझे आशंका है कि 15 से 20 लाख रूपए गंवाने के बाद भी अपन...

-
(रणविजय सिंह, मेट्रो पार्ट 12, 17 फरवरी 2019) 'सर, हनुमान सेतु की तरफ गोमती में बन रही एक पाइल धंस गई...' मोबाइल पर हांफते हुए ...
-
नोटबंदी के बाद आम आदमी अपने ही दो हजार रुपयों के लिए बैंकों के बाहर धूप में खड़ा है लेकिन इन्हीं बैंकों से करीब आठ लाख करोड़ रुपया क...
-
समय रहते रजनीश ने अपने नवजात शिशु को अपोलो मेडिक्स से जबरन डिस्चार्ज न कराया होता तो मुझे आशंका है कि 15 से 20 लाख रूपए गंवाने के बाद भी अपन...
No comments:
Post a Comment