Tuesday, 23 May 2017

एमसीआई से कहा 'तत्काल नियुक्ति', शासन से कहा 'अनुमति मिली तब चयन'


(रणविजय सिंह, 20 अप्रैल 2017, लोहिया इंस्टीट्यूट पार्ट थ्री)

लोहिया अस्पताल के 10 डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाने का खाका खींचने के बाद लोहिया इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) और शासन को गुमराह करने के लिए दो अलग अलग पत्र तैयार किए थे। आला अधिकारियों ने शासन से कहा कि इनके चयन का प्रस्ताव है, मंजूरी मिलने के बाद चयन होगा, जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकारियों को सौंपे दस्तावेज में इन सभी को इंस्टीट्यूट में तत्काल प्रभाव से नियुक्ति देने की बात लिखी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पत्र में इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो़ दीपक मालवीय के दस्तखत भी हैं।

सवाल जिनके जवाब अधिकारियों के पास नहीं हैं :
_ लोहिया इंस्टीट्यूट और लोहिया अस्पताल का विलय अभी तक नहीं हुआ है। लोहिया अस्पताल का काम चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के तहत आता है जबकि लोहिया इंस्टीट्यूट चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन है। ऐसे में बिना दोनों विभागों के प्रमुख सचिव और महानिदेशकों की जानकारी के लोहिया अस्पताल के 10 डॉक्टरों को लोहिया इंस्टीट्यूट में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती का फैसला क्यों और किसके दबाव में किया गया?
_ चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक डॉ़ बीएन त्रिपाठी और चिकित्सा स्वास्थ्य के महानिदेशक डॉ़ पद्माकर ने डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाने या उनके चयन के प्रस्ताव तक की जानकारी से खुद को अनजान बताया। वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव अरुण सिन्हा ने भी इस मामले में जानकारी न दिए जाने की बात कही और चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अनीता भटनागर जैन भी पूरे मामले से अनजान हैं।
_ अस्पताल के 10 डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनाती दी गई। इनमें से दो डॉक्टरों ने बकायदा शासन से इसके लिए एनओसी मांगी। बाकी डॉक्टरों ने क्यों नहीं मांगी। ऐसे में अगर इन 10 की नियुक्ति के तौर तरीकों को सही भी मान लें तो या एनओसी न लेने वाले आठ डॉक्टर सही हैं या फिर एनओसी लेने वाले दो डॉक्टर। इसके बावजूद इंस्टीट्यूट ने सभी 10 डॉक्टरों पर अपनी कृपा एक समान तरीके से बरसायी।
_ शासनादेश के मुताबिक लोहिया अस्पताल और लोहिया इंस्टीट्यूट के संबंध में कोई भी फैसला लेने के लिए शासन स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बनी हुई है। इसमें प्रमुख सचिव (वित्त), प्रमुख सचिव (चिकित्सा स्वास्थ्य), प्रमुख सचिव (चिकित्सा स्वास्थ्य) और निदेशक (लोहिया इंस्टीट्यूट) को सदस्य बनाया गया है। ऐसे में डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाने का फैसला इस कमिटी के जरिए क्यों नहीं किया गया?

नियुक्ति अभी नहीं हुई है, हमने शासन से अनुमति मिलने की आशा में यह नाम भेजे हैं। वहां से मंजूरी के बाद नियुक्ति होगी। हालांकि एमसीआई के सामने इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर ही दिखाया गया था, क्योंकि ऐसा न करते तो इस साल हमें एमबीबीएस की 150 सीटों की मान्यता न मिल पाती।
प्रो़ दीपक मालवीय, निदेशक
लोहिया इंस्टीट्यूट

अभी विलय को लेकर अंतिम फैसला होना है। इससे पहले लोहिया अस्पताल और उसके डॉक्टरों को लेकर किसी भी तरह का फैसला लोहिया इंस्टीट्यूट नहीं कर सकता। डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाने या उनका नाम भेजे जाने की कोई सूचना मुझे नहीं है।
अरुण सिन्हा, प्रमुख सचिव
चिकित्सा स्वास्थ्य

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