Tuesday, 23 May 2017

सभी झूठ पकड़े गए तो मानी गलती, चहेतों की नियुक्ति का आदेश स्थगित

(रणविजय सिंह, 27 अप्रैल 2017, लोहिया इंस्टीट्यूट पार्ट छह)

लोहिया इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसरों के खाली पदों पर लोहिया अस्पताल के चहेते डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश स्थगित कर दिया गया है। एनबीटी की खबरों का संज्ञान लेते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव अनीता भटनागर जैन ने नियुक्ति से जुड़ी रिपोर्ट तलब कर ली है। डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाने के तौर तरीकों पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने लोहिया इंस्टीट्यूट में हर विभाग के मुताबिक शिक्षकों की कमी का ब्योरा तैयार करने को कहा है। इसके अलावा लोहिया अस्पताल से प्रतिनियुक्ति पर अगर किसी डॉक्टर को इन विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए लिए जाने की जरूरत है, तो इसके लिए लोहिया अस्पताल के विभागों में डॉक्टरों की वरिष्ठता सूची तैयार करायी जाए। इस सूची के मुताबिक ही जरूरत पड़ने पर चयन किया जा सकेगा।
लोहिया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो़ दीपक मालवीय ने सात अप्रैल को लोहिया अस्पताल के 10 डॉक्टरों को इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया था। एनबीटी की पड़ताल में सामने आया कि यह सभी डॉक्टर पिछली सरकार के कद्दावर नेता, मंत्री और सीएम कार्यालय में तैनात आईएस अधिकारियों के रिश्तेदार थे या फिर करीबी। इसका खुलासा होने के बाद इससे जुड़ी गड़बड़ियां परत दर परत खुलती गईं। पता चला कि इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने एमसीआई के औचक निरीक्षण का बहाना बनाकर अस्पताल के चहेते डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया था, ताकि बाद में इन्हें नियमित किया जा सके। यही नहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली रखने की नीयत से इन पदों के लिए हुए इंटरव्यू में कई आवेदकों को कॉल लेटर तक नहीं भेजा गया। एनबीटी ने इन तमाम पहलुओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसपर प्रमुख सचिव ने लोहिया इंस्टीट्यूट से भर्ती प्रक्रिया इन गड़बड़ियों से जुड़ी पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है। यही नहीं इंस्टीट्यूट में शिक्षकों के खाली पदों और लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों का ब्योरा भी देने को कहा है।

रिश्तेदारों का जमावड़ा :
लोहिया अस्पताल के कई विभागों में 30 से 40 फीसदी पदों पर यहां तैनात डॉक्टर, एचओडी और अधिकारियों के रिश्तेदार जमे हुए हैं। विभागों में तैनात कइ डॉक्टर तो ऐसे हैं, जिनका चयन करने वाली चयन समिति तक में उनके रिश्तेदार शामिल थे। यही नहीं अस्पताल में संविदा पर हुई भर्तियों में भी जमकर भाई भतीजावाद किया गया है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत के मोहम्म्द शारिक खान का आरोप है कि पिछली सरकार में लोहिया इंस्टीट्यूट को यहां के अधिकारियों ने  आईएएस अधिकारियों, नेता, मंत्रियों और अपने करीबियों का एंप्लायमेंट हाउस बना दिया गया था। शारिक खान ने लोहिया इंस्टीट्यूट में पिछले पांच वर्ष के दौरान हुई नियुक्तियों और मैन पावर एजेंसियों की जांच की मांग की है।

मैने लोहिया इंस्टीट्यूट के निदेशक के रिपोर्ट तलब कर ली है। जिन डॉक्टरों को उन्होंने नियुक्ति दिखायी है, उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती। लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों की सूची तैयार करायी जा रही है। प्रतिनियुक्ति पर तैनाती की जरूरत महसूस हुई तो वरिष्ठता के मुताबिक ही चयन होगा।
अनीता भटनागर जैन, प्रमुख सचिव
चिकित्सा शिक्षा

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