Tuesday, 23 May 2017

रसूखदार के रिश्तेदारों की परीक्षा ना इंटरव्यू, सीधे नियुक्ति पत्र


(रणविजय सिंह, 17 अप्रैल 2017, लोहिया इंस्टीट्यूट पार्ट वन)

सरकार बदलते ही लोहिया इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में भारी गड़बड़ी सामने आयी है। इस महीने सात अप्रैल को लोहिया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो़ दीपक मालवीय की तरफ से लोहिया अस्पताल के 10 डॉक्टरों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद नियुक्ति दे दी गई। यही नहीं एमबीबीएस की मान्यता के मानक पूरे दिखाने के लिए लोहिया इंस्टीट्यूट ने इन सभी को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम के सामने बतौर शिक्षक पेश भी कर दिया, जबकि यह सारे लोहिया इंस्टीट्यूट के बजाय आज भी लोहिया अस्पताल की ओपीडी में ही बैठ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि चिकित्सा स्वास्थ्य के महानिदेशक डॉ़ पद्माकर सिंह और लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ़ सीएस नेगी को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि उनके 10 डॉक्टरों को लोहिया इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिल चुकी है।

तौर तरीकों और टाइमिंग पर सवाल :
लोहिया अस्पताल का लोहिया इंस्टीट्यूट में विलय होने पर यहां के करीब 50 डॉक्टरों ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर प्रतिनियुक्ति पाने का आवेदन कर रखा है। लोहिया इंस्टीट्यूट ने एमबीबीएस की 150 सीटों के मानक पूरे करने के लिए पिछले साल 8 अक्टूबर को कई विभागों में शिक्षकों के पदों पर विज्ञापन जारी किया। इस बीच विधानसभा चुनाव शुरू हो गए, लिहाजा नई नियुक्तियों और तैनाती पर रोक लग गई। इसके बावजूद लोहिया इंस्टीट्यूट ने इस साल नौ फरवरी को सात डॉक्टरों की सूची चिकित्सा शिक्षा अनुभाग 2 को भेज दी। इसमें बताया गया था कि इन सातों डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए जाने का प्रस्ताव है। इस बीच सरकार बदल गई। इसके बावजूद सात अप्रैल को निदेशक प्रो़ दीपक मालवीय ने पत्र जारी कर इस सूची में तीन नए डॉक्टरों के नाम जोड़े और सभी को प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए जाने का आदेश जारी कर दिया।

इन्हें दी गई तैनाती :
डॉ़ संदीप चौधरी (मेडिसिन), डॉ़ सुशील कुमार श्रीवास्तव (मेडिसिन), डॉ़ अजय कुमार सिंह (जनरल सर्जरी), डॉ़ शैलेश कुमार श्रीवास्तव (जनरल सर्जरी), डॉ़ निर्मेश भल्ला (आर्थो), डॉ़ संजय जैन (पीडियाट्रिक्स), डॉ़ देवाशीष शुक्ला (साइकियाट्रिक्स), डॉ़ सुरेश अहिरवार (चर्म एवं गुप्त रोग), डॉ़ प्रीति गुप्ता (आप्थोल्मोलॉजी) और डॉ़ संजय जायसवाल (पैथोलॉजी)। सूत्रों के मुताबिक डॉ़ प्रीति गुप्ता सपा सरकार में सचिव मुख्यमंत्री रहे आईएएस अधिकारी अमित गुप्ता की पत्नी हैं। वहीं डॉ़ संजय जायसवाल को सूचना आयुक्त सुदेश कुमार का रिश्तेदार बताया जाता है। यही नहीं डॉ़ निर्मेश भल्ला, डॉ़ शैलेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ़ संदीप चौधरी और डॉ़ सुरेश अहिरवार को मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ़ आरसी अग्रवाल का करीबी माना जाता था। इसके अलावा डॉ़ संजय भल्ला और डॉ़ सुशील कुमार श्रीवास्तव उन डॉक्टरों में शुमार किए जाते थे, जिन्हें जरूरत के वक्त सपा परिवार के सदस्यों को देखने लोहिया अस्पताल से भेजा जाता था। वहीं डॉ़ अजय कुमार सिंह को सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे राजा भईया का करीबी होने की अटकलें लगायी जाती हैं।

लोहिया इंस्टीट्यूट हमारे डॉक्टरों को तैनाती कैसे दे सकता है। हमने अभी तक किसी डॉक्टर को रिलीव तक नहीं किया है। ऐसे में अगर उन्होंने ऐसा कुछ किया है तो गलत है। हमें इस संबंध में जानकारी भी नहीं दी गई है। लोहिया अस्पातल और इंस्टीट्यूट के विलय को अभी केवल सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। मुझसे पूछा गया था लेकिन मैने साफ कह दिया है कि कर्मचारी, डॉक्टर और दूसरे संसाधनों की शर्तें तय किए बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते।
डॉ़ पद्माकर सिंह, महानिदेशक
चिकित्सा स्वास्थ्य

हमारे किसी डॉक्टर को लोहिया इंस्टीट्यूट में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दिए जाने की कोई सूचना मुझे नहीं है। हमने ना तो इसके लिए अपनी सहमति दी है और न ही इंस्टीट्यूट की तरफ से हमें इस बारे में कुछ बताया गया है।
डॉ़ सीएस नेगी, निदेशक
लोहिया अस्पताल

प्रो़ दीपक मालवीय से सीधी बात :
सवाल : लोहिया अस्पताल के कितने डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर तैनाती दी गई है?
जवाब : अभी तैनाती नहीं दी गई है। इसका प्रस्ताव है।
सवाल : लेकिन आपकी तरफ से सात अप्रैल को पत्र जारी कर नियुक्ति दिए जाने की बात कही गई है।
जवाब : हां, लेकिन वह शासन से मंजूरी की प्रत्याशा में जारी की गई थी।
सवाल : उस पत्र में शासन से प्रत्याशा पर नियुक्ति का तो कोई जिक्र नहीं है।
जवाब : नहीं, नहीं। ऐसा नहीं होगा। मैं दिखवाता हूं। एमसीआई के सामने मानक पूरे दिखाने के लिए इन्हें शासन से मंजूरी की प्रत्याशा में ही प्रतिनियुक्ति पर दिखाया गया था।
सवाल : अभी इन डॉक्टरों को चिकित्सा स्वास्थ्य से रिलीव नहीं किया गया है। ऐसे में कैसे तैनाती दे दी गई?
जवाब : नहीं जो कुछ भी होगा मानकों के मुताबिक होगा। मैं दिखवाता हूं।

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