Tuesday, 30 May 2017

संविदा कर्मचारियों के बहाने एलयू ने जिसे चाहा उसे नियमित कर दिया

(रणविजय सिंह, तीन मई 2017, पार्ट वन)

शासन ने एलयू के संविदा, दैनिक वेतन और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश दिया लेकिन एलयू अधिकारियों ने इस आदेश को ढ़ाल बनाते हुए जिसे चाहा उसे नियमित कर दिया। दस्तावेजों के मुताबिक पिछले हफ्ते शासन के आदेश पर जिन 128 कर्मचारियों को नियमित किया गया है, उनमें से ज्यादातर काफी पहले ही प्रमोट होकर संविदा, दैनिक वेतनमान और वर्कचार्ज के दायरे से ऊपर उठ चुके थे। मनमानी का आलम यह है कि कई कर्मचारियों का नाम शासन को भेजी गई लिस्ट में तो है लेकिन एलयू की लिस्ट में नहीं। वहीं कुछ का नाम एलयू की लिस्ट में होने के बावजूद शासन की सूची से गायब है।
एलयू में 31 दिसंबर वर्ष 2001 से पहले संविदा, दैनिक वेतन और वर्कचार्ज पर तैनात कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश पिछले साल 21 जून को जारी हुआ था। इस आदेश का हवाला देते हुए एलयू प्रशासन ने 198 पद खाली होने की रिपोर्ट शासन को भेज दी। शासनादेश के मुताबिक एलयू में खाली इन पदों पर यहां 2001 से पहले से संविदा, दैनिक वेतन और वर्कचार्ज पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जाना था। उप्र राज्य विवि कर्मचारी महासंघ ने आरोप लगाया है कि इन पदों पर कर्मचारियों को नियमित करने के बहाने एलयू अधिकारियों ने जमकर मनमानी की। इस संबंध में सुबूतों के साथ महासंघ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, शिक्षमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच कराए जाने की मांग की है।

यह हैं गड़बड़ियां :
_ शासन को भेजी गई सूची में क्रम संख्या 87 पर रईसा बानो का नाम है, जिन्हें ओबीसी दिखाया गया है। एलयू के दस्तावेजों में वह सामान्य कैटेगरी की हैं।
_ जूलॉजी विभाग में तैनात नत्थू लाल को 1995 में नियुक्ति दिखाते हुए नियमित किया जा रहा है जबकि उन्हें 2004 में पहली तैनाती मिली थी।
_ नियमित किए गए कर्मचारियों की एलयू की सूची में सुरेंद्र गुप्ता का नाम 30वें नंबर पर है, लेकिन शासन को भेजी गइ सूची में उनका नाम ही नहीं है।
_ शिवेंद्र तिवारी ने एलयू में 1996 में ज्वाइन किया था। उनका नाम शासन को भेजी गई सूची में तो है लेकिन एलयू ने जिन कर्मचारियों को नियमित किया है, उस सूची से नाम गायब है।
_ टैगोर पुस्तकालय में तीन वरिष्ठ कर्मचारियों को दरकिनार करते हुए जूनियर कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया।
_ एलयू ने जिन कर्मचारियों को निमयित किया है, उनमें कई ऐसे हैं जिनके खिलाफ सतर्कता विभाग की जांच होने के बाद दोषी पाया जा चुका है।


शासन ने संविदा, वर्कचार्ज और दैनिक वेतन पर 31 दिसंबर 2001 से पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश दिया था। इस तीनों कैटेगरी में आने वाला कोई कर्मचारी ही एलयू में नहीं है। इसके बावजूद एलयू अधिकारियों ने इस आदेश के बहाने जमकर मनमानी की है। हमने निष्पक्ष जांच की मांग की है। हमारे पास सारे दस्तावेज हैं, जिनके मुताबिक अधिकारियों की मिलीभगत साबित हो जाएगी। इस मामले में कई लोग जेल भी जा सकते हैं।
रिंकू राय, महामंत्री
उप्र राज्य विवि कर्मचारी महासंघ

कर्मचारी नेता कई जगह शिकायत दर्ज करा रहे हैं। इसमें कुछ कमी हो सकती है लिहाजा हमने आपत्तियां मांगी थीं। लिस्ट बनाने से पहले काफी जांच पड़ताल और दस्तावेजों का सत्यापन कराया गया था। आपत्तियां मिलने के बाद जो गलत नाम जुड़ गए हैं, उन्हें हटाया जा सकता है। कर्मचारी संघ ने शासन स्तर पर शिकायत दर्ज करायी है लेकिन हमें अभी तक कोई आपत्ति नहीं मिली है।
राजकुमार सिंह, कुलसचिव
एलयू 

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