(रणविजय सिंह, 4 मई 2017, बायोटेक पार्ट वन)
जो जमीन एलडीए से बायोटेक पार्क के लिए मिली थी, उसे यहां के अधिकारियों ने मिलीभगत कर निजी कंपनियों को बांट दी। करोड़ों रुपये की जमीन महज 1.90 रुपये और 2.50 रुपये की दर से किराए पर दे दी गई। इसके बाद यहां इन कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री, स्टोर और कार्यालय के लिए पक्का निर्माण करा लिया। निजी कंपनियों पर बायोटेक पार्क के अधिकारियों की मेहरबानी यहीं नहीं थमी। अपने उत्पाद के लिए यह कंपनियां जितनी बिजली खर्च कर रही थीं, उसका बिल भी बायोटेक पार्क के खजाने से किया जाता रहा। यहां काम करने वाले कुछ कर्मचारियों की शिकायत पर शासन ने जांच करायी तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। इसके बाद प्रमुख सचिव ने एफआईआर के आदेश दे दिए और कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट गृह विभाग भेज दी गई।
सबलेट पर पाबंदी के बावजूद दे दी जमीन :
जांच रिपोर्ट के मुताबिक एलडीए ने 12 सितंबर 1989 को सीतापुर रोड़ के पास 36 एकड़ जमीन रिमोट सेंसिंग विभाग को दी। इसके बाद 5 सितंबर 2003 को रिमोट सेंसिंग विभाग ने इसमें से आठ एकड़ जमीन बायोटेक पार्क बनाने के लिए 30 साल के लिए लीज रेंट पर दे दिया। रिमोट सेंसिंग और बायोटेक पार्क के बीच हुए लीज रेंट एग्रीमेंट के तहत बायोटेक पार्क यह जमीन किसी को लीज रेंट पर नहीं दे सकता और ना ही सबलेट कर सकता है। इस एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन करते हुए बायोटेक पार्क के अधिकारियों ने तीन कंपनियों लाइफ केयर इनोवेशन प्रालि, चंदन हेल्थ केयर और अमोर हर्बल प्रालि को करीब 8000 वर्गफीट जमीन सबलेट कर दी।
3000 रुपये का भाव, 1.90 रुपये तय कर दिया :
जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस जमीन की कीमत 3000 रुपये प्रति वर्गफीट है लेकिन बायोटेक पार्क के अधिकारियों ने इसे महज 1.90 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से किराए पर उठा दिया। तीनों कंपनियों को दी गई जमीन की कीमत 3000 रुपये प्रति वर्गफीट के मुताबिक तय करें तो करीब 23 करोड़ रुपये होती है। इसपर 10 फीसदी ब्याज लगाया जाए तो करीब दो करोड़ रुपये हुए। इसके उलट इन कंपनियों से इस जमीन के एवज में केवल एक करोड़ 88 लाख रुपये ही जमा करने को कहा गया। यह रकम भी कंपनियों ने जमा की या नहीं, इसका ब्योरा नहीं है। आशंका जतायी गई है कि यह मामूली रकम भी जमा किए बिना ही निर्माण करा लिया गया।
बायोटेक पार्क की जमीन देने का फैसला मेरा नहीं है। मैने डेढ़ साल पहले ही ज्वाइन किया है। हालांकि मेरी जानकारी के मुताबिक जमीन देने का फैसला अकेले बायोटेक पार्क के अधिकारियों का नहीं है। बायोटेक पार्क की गवर्निंग बॉडी, एडवाइजरी काउंसिल, प्रमुख सचिव और भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव की मंजूरी भी ली गई थी।
प्रमोद टंडन, सीईओ
बायोटेक पार्क
गड़बड़ियों की शिकायत के बाद जांच करायी गई है। रिपोर्ट मेरे मुझे मिल गई है। इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के संकेत मिले हैं। इसके बाद मैने एफआईआर के लिए आदेश दिया था लेकिन तकनीकी कारणों से एफआईआर नहीं हो सकी। लिहाजा कार्रवाई के लिए रिपोर्ट शासन और गृह विभाग को भेज दी गई है।
हिमांशू कुमार, प्रमुख सचिव
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी
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