
लोहिया इंस्टीट्यूट समेत कई नए मेडिकल कॉलेज खोलने का दावा करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं लेकिन इन कॉलेजों में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाएगा कौन? इस सवाल का जवाब आला अधिकारियों के पास नहीं है। हालात इस कदर बदतर हैं कि कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 20 से 24 नियमित पदों पर केवल एक या दो प्रोफेसरों की ही नियुक्ति हो सकी है। कुछ जगहों पर तो एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर है ही नहीं। ज्यादातर कॉलेजों में शिक्षकों के 50% से 70% तक नियमित पद खाली पड़े हैं। इस बीच इस साल जनवरी से अब तक करीब 25 से 30 प्रोफेसरों के इस्तीफे ने नया संकट खड़ा कर दिया है। इस्तीफा देने वालों में झांसी और आगरा मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल के नाम भी हैं।
जून में होने हैं दाखिले, जुलाई से कक्षाएं :
लखनऊ समेत प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस दाखिले के लिए जून में काउंसलिंग होनी है। इसके बाद जुलाई से कक्षाएं शुरू होंगी। इस बीच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी ने नया संकट खड़ा कर दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जिस तेजी से नए मेडिकल कॉलेज खोलने में दिलचस्पी दिखायी, उतनी तेजी यहां कक्षाएं चलाने लायक शिक्षकों की भर्ती को लेकर नहीं दिखायी गई। नतीजा हुआ कि शासन को हाल ही में भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इन कॉलेजों में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर के ज्यादातर पद खाली हैं। पिछले साल तक संविदा के भरोसे किसी तरह कक्षाएं चलायी गईं लेकिन इसके बावजूद 30 फीसदी तक शिक्षकों की कमी बनी रही। बदहाली की यह तस्वीर इस साल ज्यादा बुरी होने की आशंका है।
इस्तीफे ने बढ़ायी चिंता :
शिक्षकों के भारी संकट से जूझ रहे झांसी, आगरा, इलाहाबाद, कन्नौज, गोरखपुर और मेरठ मेडिकल कॉलेजों के करीब 25 से 30 शिक्षकों ने अचानक अपना इस्तीफा शासन को भेज दिया। इनमें से ज्यादातर प्रोफेसर हैं। झांसी और आगरा में तो कार्यवाहक प्रिंसिपलों तक ने अपना इस्तीफा भेज दिया है।
कहीं 1 तो कहीं 2 प्रोफेसरों के भरोसे पढ़ायी :
नए मेडिकल खोलने को अपनी उपलब्धि बता रहे चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यहां कक्षाएं चलाए जाने और गुणवत्ता परक शिक्षा की कोई परवाह नहीं की। यही वजह है कि कई मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो महज एक या दो प्रोफेसरों के भरोसे चल रहे हैं। अम्बेडकर नगर, जालौन, आजमगढ़, बांदा और बदायूं मेडिकल कॉलेजों में प्र्रोफेसर के 20 से 24 पद हैं लेकिन कहीं भी दो से ज्यादा प्रोफेसरों के पद नहीं भरे जा सके हैं। सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में तो केवल एक प्रोफेसर हैं और यहां असिस्टेंट प्रोफेसर की एक भी भर्ती नहीं हो सकी है जबकि इसके 27 पद हैं। कन्नौज मेडिकल कॉलेज को लेकर पिछली सरकार काफी गंभीर थी, इसके बावजूद यहां प्रोफेसर के 24 पदों में से केवल चार पर नियमित भर्ती हो सकी।
कहां कितना संकट :
कानपुर मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 50 19 31
असिस्टेंट प्रोफेसर 54 12 42
इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 37 15 22
असिस्टेंट प्रोफेसर 51 22 29
आगरा मेडिकल कॉलेज:
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 44 18 26
असिस्टेंट प्रोफेसर 71 19 53
झांसी मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 22 7 15
असिस्टेंट प्रोफेसर 42 12 30
मेरठ मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 33 20 13
असिस्टेंट प्रोफेसर 54 16 38
कानपुर मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या नियमित खाली
प्रोफेसर 50 19 31
असिस्टेंट प्रोफेसर 54 12 42
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 19 12 5
असिस्टेंट प्रोफेसर 37 23 15
अम्बेडकर नगर मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 24 3 21
असिस्टेंट प्रोफेसर 29 2 27
कन्नौज मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 24 4 20
असिस्टेंट प्रोफेसर 28 13 15
जालौन मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 23 1 22
असिस्टेंट प्रोफेसर 25 4 21
आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 24 2 22
असिस्टेंट प्रोफेसर 26 6 20
सहारनपुर मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 22 1 21
असिस्टेंट प्रोफेसर 27 0 27
बांदा मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 14 3 11
असिस्टेंट प्रोफेसर 19 3 16
बदायूं मेडिकल कॉलेज :
पद पदों की संख्या भरे खाली
प्रोफेसर 7 2 5
असिस्टेंट प्रोफेसर 17 1 16
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