(रणविजय सिंह, 6 मई 2017, बायोटेक पार्ट फोर )
बायोटेक पार्क में निजी कंपनियों ने जमानत फीस के तौर पर जितनी रकम जमा की, उतनी संस्थान के बैंक अकाउंट में नहीं है। यही नहीं निजी कंपनियों ने जितनी बिजली खर्च की, उसके बिल का ज्यादातर हिस्सा बायोटेक पार्क ने अपने पास से लेसा को भुगतान किया। यही नहीं पिछले 10 वर्ष के दौरान यहां आयीं 32 कंपनियों से कब, किस दर से और कितना किराया तय किया गया? और कितना जमा कराया गया? इसके दस्तावेज भी संदिग्ध है।
शासन के आदेश पर बायोटेक पार्क की स्पेशल ऑडिट में ऐसी तमाम खामियां सामने आयी हैं। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजते हुए कार्रवाई की सिफारिश हुई है, जिसके बाद गुडंबा थाने में मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी गई है। शासन के निर्देश पर हुई स्पेशल ऑडिट में यहां लम्बे समय से वित्तीय अनियमितताओं के सुबूत मिलने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल दर साल निजी कंपनियों द्वारा खर्च की जा रही बिजली का बिल भी पहले बायोटेक पार्क अपने पास से जमा करता था और बाद में इस बिल का केवल 50 से 60 फीसदी हिस्सा ही निजी कंपनियों से वसूला जाता था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक बायोटेक पार्क में निजी कंपनियों के साथ पीपीपी मॉडल पर चल रहे ज्यादातर प्रॉजेक्ट घाटे में चल रहे हैं। आशंका है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कागजों पर घाटा दिखाया जाता रहा।
कहां गई जमानत फीस की रकम :
स्पेशल ऑडिट में निजी कंपनियों की जमानत फीस की रकम पर भी सवाल उठा है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनियों और ठेकेदारों ने 62 लाख 65 हजार नौ सौ 48 रुपये जमानत फीस के तौर पर जमा किए। यह रकम बायोटेक पार्क के बैंक खाते में रहनी चाहिए, क्योंकि इसे खर्च नहीं किया जा सकता। इसके उलट जांच के दौरान पार्क के बैंक खाते में केवल 22 लाख 52 हजार आठ सौ 24 रुपये ही मिले। इसके अलावा बायोटेक पार्क के अधिकारियों ने 19 लाख 33 हजार की एफडी दिखायी। बैंक खाते और एफडी की रकम मिला लें तो भी जमानत फीस के तौर पर जमा हुई रकम से 20 लाख 79 हजार तीन सौ 16 रुपये कम है। यह रकम कहां गई? इस सवाल का जवाब ऑडिट टीम को नहीं मिल सका।
32 कंपनियों का किराया :
ऑडिट टीम की जांच में पता चला कि पिछले 10 वर्ष के दौरान यहां बिजनेस करने आयीं 32 कंपनियों से रखरखाव और किराए के तौर पर तीन करोड़ 83 लाख 27 हजार चार सौ दो रुपये जमा कराए जाने चाहिए थे। यह रकम जमा हुई या नहीं, इससे जुड़े दस्तावेजों में कई कमियां पायी गईं। जांच के दौरान यह साफ नहीं हो सका कि यह रकम कभी जमा भी हुई थी या नहीं।
सब ठीक है :
बायोटेक पार्क में किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है। ऑडिट टीम को सभी आपत्तियों का जवाब भेज दिया गया था। बिजली के बिल से जुड़ी जो भी आपत्ति थी, उसके जवाब में हर महीने का बिल दिखा दिया गया है। जांच टीम काफी जल्दबाजी में थी, इसके चलते कई दस्तावेज हड़बड़ी के चलते नहीं दिखाए जा सके थे। ऐसे सभी कागज बाद में दिखा दिए गए। इसके बावजूद आपत्तियों में उन्हें दर्ज कर लिया गया। जो आपत्तियां हैं, उनका जवाब हमारे पास है। शासन जरूरी समझेगा तो हम उन्हें उपलब्ध करा देंगे।
प्रमोद टंडन, सीईओ
बायोटेक पार्क
बायोटेक पार्क में निजी कंपनियों ने जमानत फीस के तौर पर जितनी रकम जमा की, उतनी संस्थान के बैंक अकाउंट में नहीं है। यही नहीं निजी कंपनियों ने जितनी बिजली खर्च की, उसके बिल का ज्यादातर हिस्सा बायोटेक पार्क ने अपने पास से लेसा को भुगतान किया। यही नहीं पिछले 10 वर्ष के दौरान यहां आयीं 32 कंपनियों से कब, किस दर से और कितना किराया तय किया गया? और कितना जमा कराया गया? इसके दस्तावेज भी संदिग्ध है।
शासन के आदेश पर बायोटेक पार्क की स्पेशल ऑडिट में ऐसी तमाम खामियां सामने आयी हैं। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजते हुए कार्रवाई की सिफारिश हुई है, जिसके बाद गुडंबा थाने में मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी गई है। शासन के निर्देश पर हुई स्पेशल ऑडिट में यहां लम्बे समय से वित्तीय अनियमितताओं के सुबूत मिलने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल दर साल निजी कंपनियों द्वारा खर्च की जा रही बिजली का बिल भी पहले बायोटेक पार्क अपने पास से जमा करता था और बाद में इस बिल का केवल 50 से 60 फीसदी हिस्सा ही निजी कंपनियों से वसूला जाता था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक बायोटेक पार्क में निजी कंपनियों के साथ पीपीपी मॉडल पर चल रहे ज्यादातर प्रॉजेक्ट घाटे में चल रहे हैं। आशंका है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कागजों पर घाटा दिखाया जाता रहा।
कहां गई जमानत फीस की रकम :
स्पेशल ऑडिट में निजी कंपनियों की जमानत फीस की रकम पर भी सवाल उठा है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनियों और ठेकेदारों ने 62 लाख 65 हजार नौ सौ 48 रुपये जमानत फीस के तौर पर जमा किए। यह रकम बायोटेक पार्क के बैंक खाते में रहनी चाहिए, क्योंकि इसे खर्च नहीं किया जा सकता। इसके उलट जांच के दौरान पार्क के बैंक खाते में केवल 22 लाख 52 हजार आठ सौ 24 रुपये ही मिले। इसके अलावा बायोटेक पार्क के अधिकारियों ने 19 लाख 33 हजार की एफडी दिखायी। बैंक खाते और एफडी की रकम मिला लें तो भी जमानत फीस के तौर पर जमा हुई रकम से 20 लाख 79 हजार तीन सौ 16 रुपये कम है। यह रकम कहां गई? इस सवाल का जवाब ऑडिट टीम को नहीं मिल सका।
32 कंपनियों का किराया :
ऑडिट टीम की जांच में पता चला कि पिछले 10 वर्ष के दौरान यहां बिजनेस करने आयीं 32 कंपनियों से रखरखाव और किराए के तौर पर तीन करोड़ 83 लाख 27 हजार चार सौ दो रुपये जमा कराए जाने चाहिए थे। यह रकम जमा हुई या नहीं, इससे जुड़े दस्तावेजों में कई कमियां पायी गईं। जांच के दौरान यह साफ नहीं हो सका कि यह रकम कभी जमा भी हुई थी या नहीं।
सब ठीक है :
बायोटेक पार्क में किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है। ऑडिट टीम को सभी आपत्तियों का जवाब भेज दिया गया था। बिजली के बिल से जुड़ी जो भी आपत्ति थी, उसके जवाब में हर महीने का बिल दिखा दिया गया है। जांच टीम काफी जल्दबाजी में थी, इसके चलते कई दस्तावेज हड़बड़ी के चलते नहीं दिखाए जा सके थे। ऐसे सभी कागज बाद में दिखा दिए गए। इसके बावजूद आपत्तियों में उन्हें दर्ज कर लिया गया। जो आपत्तियां हैं, उनका जवाब हमारे पास है। शासन जरूरी समझेगा तो हम उन्हें उपलब्ध करा देंगे।
प्रमोद टंडन, सीईओ
बायोटेक पार्क
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