Sunday, 20 May 2018

सरकार किसी की हो, हर चौखट पर बिल्डर जीता, आवंटी हारे

(रणविजय सिंह, 20 जनवरी)                                     _ सपा सरकार में कार्रवाई होना तो दूर एलडीए अधिकारियों ने 10 में से 7 टावरों को दे दिया कंप्लीशन सर्टीफिकेट
_ बीजेपी की सरकार में बचे हुए तीन टावरों को भी दिया गया कंप्लीशन, जबकि फ्लैट में खिड़की दरवाजे तक नहीं

ranvijay.singh1@timesgroup.com, लखनऊ
वर्ष 2007 : बसपा सरकार में बिल्डर पर तालाब की जमीन पर अपार्टमेंट बनाने का आरोप लगा। एफआईआर हुई। एलडीए उपाध्यक्ष से लेकर टाउन प्लानर तक को दस्तावेज सौंपे गए। इसके बावजूद एलडीए ने ले आउट और मानचित्र पास कर दिया।
वर्ष 2015 : सपा सरकार में पार्श्वनाथ प्लेनेट के आवंटियों ने निर्माण पर गंभीर सवाल उठाए। इसके बावजूद अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। सुनवाई चलती रही और इसी बीच एक दिन अचानक 10 में से 7 टावरों को कंप्लीशन सर्टीफिकेट दे दिया गया।
वर्ष 2018 : बीजेपी सरकार में आवंटियों ने सीएम, डीएम और एलडीए उपाध्यक्ष के सामने नए सिरे से न्याय की गुहार लगायी। आवंटी डिवेलपर पर कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे लेकिन एलडीए ने बचे हुए तीन टावरों को भी कंप्लीशन सर्टीफिकेट जारी कर दिया।

यह तीन तारीखें यह साबित करने के लिए काफी हैं कि सरकार कोई भी रही हो, पार्श्वनाथ प्लेनेट के आवंटी हर चौखट पर हारे हैं और तमाम खामियों के बावजूद बिल्डर जीता है। आवंटियों ने अदालत, सीएम, डीएम, एलडीए और पुलिस हर चौखट पर बिल्डर के खिलाफ गड़बड़ी और मनमानी के आरोप लगाए लेकिन कहीं से भी आवंटियों के पक्ष में फैसला नहीं आया। इस बीच मंगलवार को जारी हुए कंप्लीशन सर्टीफिकेट के बाद आवंटियों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर अधिकारियों की आंख पर ऐसा कौन सा पर्दा पड़ा था कि बिना खड़की, दरवाजा, फर्श और प्लास्टर के फ्लैट्स भी रहने लायक दिखने लगे? हालांकि इस बीच आवंटी एक बार फिर लामबंद होकर इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में जुट गए हैं।

तालाब पर पास कर दिया मानचित्र :
तालाबों के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अशोक शंकरन ने बताया कि पार्श्वनाथ बिल्डर के इस प्रॉजेक्ट का एक हिस्सा खसरा संख्या 402 और 412 में आ रहा था जो कि तालाब के तौर पर दर्ज था। वर्ष 2007 में इसकी सूचना देने के बावजूद एलडीए ने इस जमीन पर प्रॉजेक्ट का ले आउट और मानचित्र पास कर दिया। तत्कालीन उपाध्यक्ष बीबी सिंह ने हर शिकायत को दरकिनार करते हुए प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी। अशोक शंकरन के मुताबिक अभी भी इस मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है लेकिन एलडीए बिल्डर पर मेहरबानी बनाए हुए है।

अधिकारियों ने अदालत की मार से बचाया :
वर्ष 2015 में आवंटियों ने बिल्डर के खिलाफ अदालती लड़ाई तेज कर दी। इसमें फंसता देख बिल्डर ने एलडीए अधिकारियों से मिलीभगत कर 10 में से 7 टावरों का कंप्लीशन सर्टीफिकेट ले लिया। अब सुप्रीम कोर्ट की टीम इस साल 20 जनवरी को प्रॉजेक्ट का निरीक्षण करने आ रही है। ऐसे में एक बार फिर बिल्डर के बेनकाब होने की आशंका थी। ऐसे में वर्तमान उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने बचे हुए तीन टावरों को भी कंप्लीशन सर्टीफिकेट दे दिया।

बिल्डर को फायदा  देने के आरोप बेबुनियाद है। अपार्टमेंट एक्ट के मुताबिक ही मानकों की जांच पड़ताल हुई थी। बिल्डर को कुछ शर्तों के साथ सर्टीफिकेट दिया गया है। कमियां दूर नहीं होने पर रेरा के जरिए कार्रवाई करायी जाएगी।
चक्रेश जैन, एक्सईएन
एलडीए

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