(रणविजय सिंह, 6 फरवरी)
_ यूपीएचएसएसपी में हुए इंटरव्यू के बाद चयन सूची बना रहे अधिकारियों की बातचीत का ऑडियो जांच अधिकारी को भेजा गया
_ ऑडियों में अधिकारी लड्डू लिए जाने, एक अभ्यर्थी को हर हाल में चुनने और कुछ को दो मिनट पूछताछ कर लौटाने की कर रहे बात
Ranvijay.Singh1@timesgroup.com, लखनऊ
उप्र हेल्थ स्ट्रेथनिंग प्रॉजेक्ट के लिए एक महीने पहले हुए इंटरव्यू के बाद चयन सूची बना रहे अधिकारियों की बातचीत का ऑडियो सामने आने के बाद पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल उठ गए हैं। मनमाने तरीके से प्रॉजेक्ट में हो रही नियुक्तियों की जांच कर रहे महानिदेशक डॉ़ पद्माकर सिंह को यह ऑडियो भेजा गया है। इस ऑडियो में इंटरव्यू में शामिल अधिकारी मिठाई मिलने, एक अभ्यर्थी को सूची में शामिल करने और कुछ को महज दो मिनट पूछताछ कर लौटाने की बात करते हुए सुनायी दे रहे हैं। विभाग में फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले एडवोकेट आशुतोष शर्मा ने इंटरव्यू के बाद मनमाने तरीके से चयन सूची बनाए जाने का आरोप लगाया है।
पिछले दिनों यूपीएचएसएसपी प्रॉजेक्ट में कई पदों के लिए इंटरव्यू कराए गए थे। इसमें कार्यदायी संस्था इकोरिस इंडिया, पीजीआई और यूपीएचएसएसपी के कई वरिष्ठ अधिकारियों का पैनल बना था। इस पैनल ने सभी आवेदकों का इंटरव्यू लिया और उसके बाद चयन सूची बनाने की कवायद शुरू हुई। इस दौरान ही बातचीत का ऑडियो महानिदेशक डॉ़ पद्माकर सिंह को सौंपा गया है। आरोप है कि इंटरव्यू के बाद सूची बनाने से पहले जोड़ तोड़ शुरू हो गई थी और इंटरव्यू लेने वाले अधिकारी पहले से तय नामों को सूची में शामिल करने के साथ बाकियो को बाहर करने के तौर तरीकों पर बातचीत कर रहे थे। ऑडियों में कुछ अभ्यर्थियों के नंबर कम करने और कुछ के नंबर बढ़ाए जाने का भी जिक्र है। यही नहीं बीच बीच में एक खास अभ्यर्थी को हर हाल में सिलेक्ट करने की बात भी हो रही है।
तो इसीलिए आईआईएम को किया गया था बाहर :
उप्र हेल्थ स्ट्रेथनिंग प्रॉजेक्ट के लिए इंटरव्यू और सिलेक्शन का काम आईआईएम को दिया गया था। आईआईएम के सख्त मानकों के चलते वीआईपी और रसूखदारों के करीबियों का सिलेक्शन नहीं हो पा रहा था तो अधिकारियों ने चयन एजेंसी के तौर पर आईआईएम को ही बदल दिया। आईआईएम से यह काम वापस लेते हुए निजी एजेंसी टीएंडएम कंसल्टिंग प्रालि को दे दिया गया। इस एजेंसी के आते ही उन तमाम लोगों का प्रॉजेक्ट में सिलेक्शन हो गया, जिन्हें आईआईएम ने अपने इंटरव्यू में खारिज कर दिया था। आरोप है कि आईआईएम की सख्ती के चलते नियुक्ति में अधिकारी अपनी मनमानी नहीं कर पा रहे थे, लिहाजा उसे बाहर करते हुए निजी एजेंसी से ही इंटरव्यू करवाया जाने लगा।
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