Sunday, 20 May 2018

रिश्तेदारों को फायदा देने के लिए एक साल तक टालते रहे इंटरव्यू


(रणविजय सिंह, 8 फरवरी)

_ लोहिया इंस्टीट्यूट में पिछले सप्ताह हुए इंटरव्यू के बाद प्रमुख सचिव और सीएम से हुई शिकायत
_ एक विभागाध्यक्ष की बेटी को लाभ देने के लिए एक साल तक इंटरव्यू टाले जाने का लगा आरोप

Ranvijay.singh1@timesgroup.com, लखनऊ
लोहिया इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट और असोसिएट प्र्रोफेसरों की नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला पिछले दिनों हुए इंटरव्यू के बाद सामने आया। कुछ अभ्यर्थियों की तरफ से संस्थान के निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर इंटरव्यू में भाई भतीजावाद किए जाने का आरोप लगाया गया है। शिकायत करने वालों के मुताबिक कुछ विभागों में हुए इंटरव्यू में संस्थान के विभागाध्यक्ष और अधिकारियों के रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया। इनमें से कुछ ऐसे थे जिनके पास तीन साल के बजाय केवल दो साल का अनुभव था लेकिन उन्हें लाभ देने के लिए इंटरव्यू करीब एक साल बाद करवाया गया। यही नहीं नियुक्ति की कवायद में इन आवेदकों के रिश्तेदारों की अहम भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
लोहिया इंस्टीट्यूट के नेत्र विभाग समेत करीब एक दर्जन विभागों में वर्ष 2016 में आवेदन लिए गए थे। ज्यादातर विभागों के लिए मार्च 2017 में इंटरव्यू कर चयन सूची जारी कर दी गई लेकिन नेत्र रोग विभाग समेत कुछ के इंटरव्यू रोक दिए गए। आरोप है कि मार्च 2017 तक इन विभागों में आवेदन करने वाले कुछ आवेदकों के पास तीन साल तक एसआर का अनुभव नहीं था। ऐसे कुछ आवेदक लोहिया संस्थान के आला अधिकारियों के रिश्तेदार भी थे। लिहाजा इंटरव्यू जनवरी 2018 तक टाल दिया गया। अब इंटरव्यू होने के बाद इस देरी को लेकर आवेदकों की तरफ से सीएम तक से गुहार लगायी गई है। शिकायती पत्र में विभागाध्यक्षों के उन रिश्तेदारों का नाम और उनकी योग्यता पर सवाल उठाने वाले दस्तावेज भी भेजे गए हैं। शासन को भेजी गई शिकायत में उन विभागों का ब्योरा भी भेजा गया है, जहां चयनित अभ्यर्थी लोहिया संस्थान के आला अधिकारियों के ही रिश्तेदार थे।

कदम दर कदम गड़बड़ी, विवाद और शिकायत :
_ लोहिया संस्थान में असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर इस साल मार्च में बड़ा खुलासा हुआ। आला अधिकारियों ने मानकों के विपरीत लोहिया अस्पातल के 10 डॉक्टरों को सीधे लोहिया इंस्टीट्यूट में नियुक्त कर लिया। एनबीटी के खुलासे के बाद आदेश वापस लिया गया।
_ करीब छह महीने बाद नए सिरे से विज्ञापन किया गया लेकिन बड़ी चालाकी से उसमें एक ही पद के लिए दो मानक रख दिए गए। एक बार फिर विवाद होने पर आदेश वापस लिया गया और नए सिरे से  विज्ञापन कर आवेदन लिए गए।
_ करीब एक साल बाद कई विभागों के लिए इंटरव्यू कराए गए लेकिन इसमें शामिल कई अधिकारियों के रिश्तेदार भी इंटरव्यू देने आए। मानकों के मुताबिक चयन प्रक्रिया की पूरी कवायद में ऐसे किसी भी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जिसके रिश्तेदार भी उसमें आवेदक हों।
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दो विभागों के लिए इंटरव्यू हुआ था। नेत्र विभाग का रिजल्ट अभी आना बाकी है। इस विभाग की एक आवेदक के रिश्तेदार लोहिया इंस्टीट्यूट में हैं लेकिन उसे फायदा देने के लिए इंटरव्यू में देरी के आरोप बेबुनियाद हैं। उसके पिता दूसरे विभाग के अध्यक्ष हैं, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आवेदन के वक्त तीन साल का अनुभव था या नहीं? इसकी जानकारी नहीं है। शिकायत करने वाले पक्षपात्र के सुबूत दें तो जांच भी करा ली जाएगी।
डॉ़ दीपक मालवीय, निदेशक
लोहिया इंस्टीट्यूट

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