
(रणविजय सिंह, 3 फरवरी)
_ केंद्रीय बजट में यूपी के लिए 8 नए मेडिकल कॉलेजों का ऐलान लेकिन पुराने कॉलेजों के लिए ही पूरे नहीं पड़ रहे शिक्षक
_ चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय की तरफ से पिछले साल शासन को भेजी गई छात्र शिक्षक अनुपात की रिपोर्ट चिंताजनक
Ranvijay.singh1@timesgroup.com, लखनऊ
केंद्रीय बजट में यूपी में 8 नए मेडिकल कॉलेजों का ऐलान हुआ है लेकिन अहम सवाल यह है कि इन नए कॉलेजों के लिए शिक्षकों की व्यवस्था कहां से होगी? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि वर्तमान मेडिकल कॉलेजों में ही शिक्षकों के 70 फीसदी तक पद खाली पड़े हैं। हालात इस कदर बदतर हैं कि कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 20 से 24 नियमित पदों पर केवल एक या दो प्रोफेसरों की ही नियुक्ति हो सकी है। कुछ जगहों पर तो एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर है ही नहीं। इस बीच पिछले साल ही कई मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों समेमत कई प्रोफेसरों के इस्तीफों ने नया संकट खड़ा कर दिया था, जिसे किसी तरह संभाला गया। छात्र शिक्षक के इस कामचलाऊ व्यवस्था के बीच यूपी को आठ नए मेडिकल कॉलेजों का तोहफा मेडिकल एजुकेशन या छात्रों के लिए बहुत ज्यादा राहत देने वाला साबित नहीं हो सकेगा।
शिक्षक भर्ती को लेकर आला अधिकारी गंभीर नहीं :
शासन और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी करोड़ों रुपये लगाकर मेडिकल कॉलेजों की इमारत और उपकरणों की खरीद में जितनी दिलचस्पी दिखाते हैं, उतनी दिलचस्पी शिक्षकों की भर्ती में नहीं दिखाते। आरोप है कि खरीद में कमीशनखोरी एक बड़ी वजह है। यही वजह है कि हर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की नियुक्ति ना होने के बावजूद करोड़ों के उपकरण खरीद लिए जाते हैं, जिसका कोई इस्तेमाल तक करने वाला नहीं होता है। शासन को पिछले साल भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर के ज्यादातर पद खाली हैं। हालात इस कदर बदतर है कि संविदा के भरोसे किसी तरह कक्षाएं चलायी गईं लेकिन इसके बावजूद 30 फीसदी तक शिक्षकों की कमी बनी रही।
कहीं 1 तो कहीं 2 प्रोफेसरों के भरोसे पढ़ायी :
कई मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो महज एक या दो प्रोफेसरों के भरोसे चल रहे हैं। अम्बेडकर नगर, जालौन, आजमगढ़, बांदा और बदायूं मेडिकल कॉलेजों में प्र्रोफेसर के 20 से 24 पद हैं लेकिन कहीं भी दो से ज्यादा प्रोफेसरों के पद नहीं भरे जा सके हैं। सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में तो केवल एक प्रोफेसर हैं और यहां असिस्टेंट प्रोफेसर की एक भी भर्ती नहीं हो सकी है जबकि इसके 27 पद हैं। कन्नौज मेडिकल कॉलेज को लेकर पिछली सरकार काफी गंभीर थी, इसके बावजूद यहां प्रोफेसर के 24 पदों में से केवल चार पर नियमित भर्ती हो सकी।
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