Sunday, 20 May 2018

सुप्रीम कोर्ट गए 12 आवंटियों के फ्लैट चकाचक, एलडीए के भरोसे रहे तो बदहाल

(रणविजय सिंह, 30 जनवरी)

_ पाश्वर्नाथ बिल्डर के खिलाफ लड़ रहे 540 आवंटियों को सुप्रीम कोर्ट और एलडीए अधिकारियों से मिला अलग अलग न्याय
_ एलडीए ने आवंटियों को झटका देते हुए बिना खिड़की, दरवाजा, फर्श और प्लास्टर वाले फ्लैट्स को दे दिया कंप्लीशन सर्टीफिकेट

Ranvijay.Singh1@timesgroup.com, लखनऊ
तस्वीर एक : फ्लैट्स में खिड़की हैं ना दरवाजे। फर्श और भीतरी दीवारों पर प्लास्टर तक नहीं। ढांचानुमा बने फ्लैट्स के भीतर बालू, मोरंग और सीमेंट के अलावा सरिया और मिट्टी भरी हुई है। एलडीए ने इसे रहने लायक मानते हुए बिल्डर को कंप्लीशन सर्टीफिकेट जारी कर दिया।

तस्वीर दो : बेहतरीन लकड़ी के खिड़की दरवाजे। चमचमाती हुई फर्श और दीवारें। बाथरूम से लेकर गैलरी तक ठीक वैसा ही काम हुआ है जैसा बिल्डर ने वादा किया था। सुप्रीम कोर्ट गए 12 आवंटियों के इन फ्लैट्स में अभी और भी बेहतर सुविधाओं के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं।

फ्लैट्स की यह दो अलग अलग तस्वीरें एक ही बिल्डर के एक ही प्रॉजेक्ट की हैं। अंतर सिर्फ उस चौखट का है, जहां पीड़ित आवंटी न्याय की फरियाद कर रहे थे। पहली तस्वीर पार्श्वनाथ प्लेनेट में बने उन आवंटियों के फ्लैट की है, जिन्होंने आधे अधूरे फ्लैट्स के लिए एलडीए से न्याय की गुहार लगायी। वहीं दूसरी तस्वीर सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाने वाले आवंटियों के फ्लैट्स की है। आरोप है कि एलडीए अधिकारी मिलीभगत कर बिल्डर को फायदा पहुंचाने वाले फैसले करते रहे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर पर सख्ती करते हुए आवंटियों को न्याय दिलाया।
सुप्रीम कोर्ट का कमीशन 18 जनवरी को पार्श्वनाथ प्लेनेट का निरीक्षण करने आया था। इससे पहले ही बिल्डर ने उन सभी 12 आवंटियों के फ्लैट्स को रहने लायक बना दिया। एक तरफ जहां पूरे प्रॉजेक्ट के 50 फीसदी से ज्यादा फ्लैट्स आधे अधूरे पड़े हुए थे, वहीं सुप्रीम कोर्ट गए आवंटियों के फ्लैट्स में मानकों से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से काम करा दिया गया। यही नहीं इन फ्लैट्स में बिजली आपूर्ति समेत कुछ अन्य कामों के लिए  के लिए बिल्डर ने दो अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर लगाने का भी आश्वासन दिया है। अतिरिक्त बेहतरी के लिए बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट की कमीशन से तीन महीने का समय मांगा है। ऐसे में अब तक एलडीए से परियाद कर रहे आवंटी भी अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। पार्श्वनाथ प्लानेट वेलफेयर असोसिएशन के सदस्य आलोक सिंह ने बताया कि इस संबंध में आवंटियों ने वकील से सलाह ले ली है।

सुप्रीम कोर्ट के उलट एलडीए ने बिल्डर को दी राहत :
सुप्रीम कोर्ट के उलट एलडीए अधिकारियों ने आवंटियों के बजाय बिल्डर को ही राहत देते हुए पूरे प्रॉजेक्ट को ही कंप्लीशन सर्टीफिकेट दे दिया। ऐसा करते समय काबिल अधिकारियों ने यह भी नहीं देखा कि प्रॉजेक्ट के फ्लैट्स में खिड़की दरवाजे तक नहीं लगे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों ने खुद निरीक्षण कर फ्लैट्स की बदहाली देखी थी लेकिन उसके बावजूद बिल्डर पर मेहरबानी कर दी।

एलडीए का डर क्यों नहीं ?
सुप्रीम कोर्ट के डर से 12 फ्लैट‌्स का काम मानकों के मुताबिक करने वाला बिल्डर आखिर एलडीए के डर से बचे हुए फ्लैट्स का काम पूरा क्यों नहीं कर रहा? पार्श्वनाथ प्लानेट वेलफेयर असोसिएशन इसके लिए एलडीए के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। असोसिएशन के मुताबिक अधिकारियों ने बिल्डर की मिलीभगत से आवंटियों के साथ हर बार धोखा ही किया है।

जिन आवंटियों के फ्लैट अधूरे हैं, उन्हें भी पूरा कराया जाएगा। इसके लिए बिल्डर को पत्र भेजा जा चुका है। कंप्लीशन सर्टीफिकेट देने का मतलब आवंटियों को उनके हाल पर छोड़ना नहीं है।
चक्रेश जैन, एक्सईएन
एलडीए

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