(रणविजय सिंह, 16 मई)
लोहिया इंस्टीट्यूट भर्ती घोटाला :
- लोहिया इंस्टीट्यूट के नेत्र रोग विभाग में हुए आवेदन और इंटरव्यू की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई
- नेत्र रोग समेत कई विभागों में असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों के चयन में धांधली की हुई है शिकायत
Ranvijay.singh1@timesgroup.com, लखनऊ
लोहिया इंस्टीट्यूट में विधानसभा चुनावों के बीच हुई असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के आरोप सही साबित होने लगे हैं। नेत्र रोग विभाग में हुए आवेदन और उसमें चहेतों को लाभ देने की शिकायत के बाद शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट में मिलीभगत और धांधली की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक विभाग में आवेदन करने वाली एक अभ्यर्थी के पिता ही स्क्रीनिंग कमिटी में शामिल थे। यह जानकारी दोनों ने ही छिपाए रखी। संस्थान के निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से हुई शिकायत के बाद मामले की जांच करायी गई। चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ़ केके गुप्ता ने अपनी जांच रिपोर्ट पिछले सप्ताह ही प्रमुख सचिव रजनीश दुबे को सौंप दी।
नेत्र विभाग के अलावा लोहिया इंस्टीट्यूट के कई अन्य विभागों में भी असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती में भाई भतीजावाद की जांच चल रही है। ऐसे सभी मामलों में पीड़ितों ने गड़बड़ी के दस्तावेज और सुबूत महानिदेशक डॉ़ केके गुप्ता को सौंप दिए हैं। ऐसे में नेत्र विभाग की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी के खुलासे ने लोहिया इंस्टीट्यूट प्रशासन की भूमिका, मंशा और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोहिया इंस्टीट्यूट के नेत्र विभाग समेत करीब एक दर्जन विभागों में वर्ष 2016 में आवेदन लिए गए थे। ज्यादातर विभागों के लिए मार्च 2017 में इंटरव्यू कर चयन सूची जारी कर दी गई लेकिन नेत्र रोग विभाग समेत कुछ के इंटरव्यू रोक दिए गए। आरोप है कि नेत्र रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए डॉ़ प्रमिला ठक्कर ने भी आवेदन किया था। उनके पिता प्रो़ एके ठक्कर न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी थे और उन्हें स्क्रीनिंग कमिटी का सदस्य भी बनाया गया था। प्रमुख सचिव से हुई शिकायत के मुताबिक आवेदन की तारीख तक डॉ़ प्रमिला ठक्कर के पास तीन साल का अनुभव नहीं था। लिहाजा इस विभाग का इंटरव्यू जनवरी 2018 तक टाला जाता रहा, ताकि उनका तीन साल का अनुभव पूरा हो सके। जांच अधिकारी डॉ़ केके गुप्ता की तरफ से प्रमुख सचिव कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में यह आरोप सही पाए गए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस विभाग के लिए हुए इंटरव्यू पर कोई फैसला आ सकता है।
कदम दर कदम गड़बड़ी, विवाद और शिकायत :
_ लोहिया संस्थान में असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर इस साल मार्च में बड़ा खुलासा हुआ। आला अधिकारियों ने मानकों के विपरीत लोहिया अस्पातल के 10 डॉक्टरों को सीधे लोहिया इंस्टीट्यूट में नियुक्त कर लिया। एनबीटी के खुलासे के बाद आदेश वापस लिया गया।
_ करीब छह महीने बाद नए सिरे से विज्ञापन किया गया लेकिन बड़ी चालाकी से उसमें एक ही पद के लिए दो मानक रख दिए गए। एक बार फिर विवाद होने पर आदेश वापस लिया गया और नए सिरे से विज्ञापन कर आवेदन लिए गए।
_ करीब एक साल बाद कई विभागों के लिए इंटरव्यू कराए गए लेकिन इसमें शामिल कई अधिकारियों के रिश्तेदार भी इंटरव्यू देने आए। मानकों के मुताबिक चयन प्रक्रिया की पूरी कवायद में ऐसे किसी भी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जिसके रिश्तेदार भी उसमें आवेदक हों।
एसआर किया आंकोलॉजी में, नियुक्ति दी गाईनी में :
राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में डॉक्टरों की भर्तियों में गजब की बंदरबांट हुई। जिस अभ्यर्थी के पास सर्जिकल आंकोलॉजी (कैंसर) विभाग से तीन साल की सीनियर रेजीडेंटशिप का अनुभव था, उसने लोहिया इंस्टीट्यूट के महिला एवं प्रसूति विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए ना सिर्फ आवेदन किया बल्कि उसका चयन भी हो गया। इंस्टीट्यूट में पिछली सरकार के दौरान ऐन विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर हुए असिस्टेंट, असोसिएट और प्रोफेसर पदों के लिए हुईं कई भर्तियों में ऐसी ही अनियमितताओं की शिकायत हुई है।
अभी हमें आदेश की कॉपी नहीं मिली है। आदेश पढ़ने के बाद ही तय होगा कि इंटरव्यू पर क्या फैसला किया जाए?
प्रो़ दीपक मालवीय, निदेशक
लोहिया इंस्टीट्यूट
लोहिया इंस्टीट्यूट भर्ती घोटाला :
- लोहिया इंस्टीट्यूट के नेत्र रोग विभाग में हुए आवेदन और इंटरव्यू की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई
- नेत्र रोग समेत कई विभागों में असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों के चयन में धांधली की हुई है शिकायत
Ranvijay.singh1@timesgroup.com, लखनऊ
लोहिया इंस्टीट्यूट में विधानसभा चुनावों के बीच हुई असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के आरोप सही साबित होने लगे हैं। नेत्र रोग विभाग में हुए आवेदन और उसमें चहेतों को लाभ देने की शिकायत के बाद शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट में मिलीभगत और धांधली की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक विभाग में आवेदन करने वाली एक अभ्यर्थी के पिता ही स्क्रीनिंग कमिटी में शामिल थे। यह जानकारी दोनों ने ही छिपाए रखी। संस्थान के निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से हुई शिकायत के बाद मामले की जांच करायी गई। चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक डॉ़ केके गुप्ता ने अपनी जांच रिपोर्ट पिछले सप्ताह ही प्रमुख सचिव रजनीश दुबे को सौंप दी।
नेत्र विभाग के अलावा लोहिया इंस्टीट्यूट के कई अन्य विभागों में भी असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती में भाई भतीजावाद की जांच चल रही है। ऐसे सभी मामलों में पीड़ितों ने गड़बड़ी के दस्तावेज और सुबूत महानिदेशक डॉ़ केके गुप्ता को सौंप दिए हैं। ऐसे में नेत्र विभाग की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी के खुलासे ने लोहिया इंस्टीट्यूट प्रशासन की भूमिका, मंशा और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोहिया इंस्टीट्यूट के नेत्र विभाग समेत करीब एक दर्जन विभागों में वर्ष 2016 में आवेदन लिए गए थे। ज्यादातर विभागों के लिए मार्च 2017 में इंटरव्यू कर चयन सूची जारी कर दी गई लेकिन नेत्र रोग विभाग समेत कुछ के इंटरव्यू रोक दिए गए। आरोप है कि नेत्र रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए डॉ़ प्रमिला ठक्कर ने भी आवेदन किया था। उनके पिता प्रो़ एके ठक्कर न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी थे और उन्हें स्क्रीनिंग कमिटी का सदस्य भी बनाया गया था। प्रमुख सचिव से हुई शिकायत के मुताबिक आवेदन की तारीख तक डॉ़ प्रमिला ठक्कर के पास तीन साल का अनुभव नहीं था। लिहाजा इस विभाग का इंटरव्यू जनवरी 2018 तक टाला जाता रहा, ताकि उनका तीन साल का अनुभव पूरा हो सके। जांच अधिकारी डॉ़ केके गुप्ता की तरफ से प्रमुख सचिव कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में यह आरोप सही पाए गए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस विभाग के लिए हुए इंटरव्यू पर कोई फैसला आ सकता है।
कदम दर कदम गड़बड़ी, विवाद और शिकायत :
_ लोहिया संस्थान में असिस्टेंट और असोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर इस साल मार्च में बड़ा खुलासा हुआ। आला अधिकारियों ने मानकों के विपरीत लोहिया अस्पातल के 10 डॉक्टरों को सीधे लोहिया इंस्टीट्यूट में नियुक्त कर लिया। एनबीटी के खुलासे के बाद आदेश वापस लिया गया।
_ करीब छह महीने बाद नए सिरे से विज्ञापन किया गया लेकिन बड़ी चालाकी से उसमें एक ही पद के लिए दो मानक रख दिए गए। एक बार फिर विवाद होने पर आदेश वापस लिया गया और नए सिरे से विज्ञापन कर आवेदन लिए गए।
_ करीब एक साल बाद कई विभागों के लिए इंटरव्यू कराए गए लेकिन इसमें शामिल कई अधिकारियों के रिश्तेदार भी इंटरव्यू देने आए। मानकों के मुताबिक चयन प्रक्रिया की पूरी कवायद में ऐसे किसी भी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जिसके रिश्तेदार भी उसमें आवेदक हों।
एसआर किया आंकोलॉजी में, नियुक्ति दी गाईनी में :
राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में डॉक्टरों की भर्तियों में गजब की बंदरबांट हुई। जिस अभ्यर्थी के पास सर्जिकल आंकोलॉजी (कैंसर) विभाग से तीन साल की सीनियर रेजीडेंटशिप का अनुभव था, उसने लोहिया इंस्टीट्यूट के महिला एवं प्रसूति विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए ना सिर्फ आवेदन किया बल्कि उसका चयन भी हो गया। इंस्टीट्यूट में पिछली सरकार के दौरान ऐन विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर हुए असिस्टेंट, असोसिएट और प्रोफेसर पदों के लिए हुईं कई भर्तियों में ऐसी ही अनियमितताओं की शिकायत हुई है।
अभी हमें आदेश की कॉपी नहीं मिली है। आदेश पढ़ने के बाद ही तय होगा कि इंटरव्यू पर क्या फैसला किया जाए?
प्रो़ दीपक मालवीय, निदेशक
लोहिया इंस्टीट्यूट