(रणविजय सिंह, पार्ट फोर, 3 जनवरी 2019)
..सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन का मैप हाथ में लिए कर्मचारियों से घिरे चीफ इंजीनियर बुदबुदाने लगे 'लगता नहीं कि यहां जमीन मिल पाएगी...' इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पाते उनका मोबाइल बजने लगा। स्क्रीन पर प्रॉजेक्ट मैनेजर का नाम देखते ही उन्होंने दूसरी तरफ से पूछे जाने वाले सवाल की कल्पना कर ली। फोन रिसीव करते ही उनका अंदेशा सही साबित हुआ 'क्या हुआ? सिंगार नगर में काम क्यों नहीं शुरू हो पा रहा है? व्यापारियों के साथ बात ही होती रहेगी या काम भी शुरू होगा? आपको पता तो है ना कि काम समय पर पूरा करने का कितना दबाव है?'
बिना सवालों के जवाब का इंतजार किए प्रॉजेक्ट मैनेजर ने एक के बाद एक कई सवाल दाग दिए। फोन कान में लगाए चीफ इंजीनियर टहलते हुए साथी इंजीनियरों से कुछ दूर आए और बोले 'पूरे आलमबाग के व्यापारी लामबंद हैं। स्टेशन के लिए एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं। इतनी भी जमीन नहीं है कि स्टेशन में एंट्री और एग्जिट के अलग अलग रास्ते बनाए जा सकें। प्रदेश सरकार की हरी झंडी के बावजूद दुकानों में तोड़फोड़ का सीधा मतलब है कि मामला अदालत में चला जाएगा। एक बार कोर्ट कचहरी शुरू हुई तो फैसला आने तक काम करना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच उन्हें फायदे समझाने के साथ ही कार्रवाई की चेतावनी का असर यह हुआ कि व्यापारी दिल्ली जाकर सांसद और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल आए। ऐसे में बल प्रयोग करने से मामला यूपी बनाम दिल्ली हो जाएगा। स्थितियां लगातार जटिल होती जा रही थीं।' इतना बोलकर चीफ इंजीनियर खामोश हो गए और दूसरी तरफ से जवाब का इंतजार करने लगे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने फिर बोलना शुरू किया 'अब हमारे पास एक ही उपाय है कि जितनी जमीन मिली है, उतने में ही स्टेशन बनाने का काम शुरू करा दिया जाए भले ही इसके लिए डिजाइन में बदलाव करन पड़े'। चीफ इंजीनियर की बात सुनने के बाद प्रॉजेक्ट मैनेजर ने उन्हें नई योजना पर काम करने को मंजूरी दे दी। इसके बाद चीफ इंजीनियर ने सभी इंजीनियरों को अपने केबिन में बुला लिया।
मीटिंग कक्ष में चीफ इंजीनियर के सामने टेबल पर सिंगार नगर स्टेशन का मैप रखा हुआ था। सबके आने के बाद चीफ इंजीनियर ने बोलना शुरू किया 'सिंगार नगर में हमें एक पिलर पर ही पूरा स्टेशन बनाना होगा।' इतना सुनते ही इंजीनियरों ने हैरानी के साथ उनकी तरफ देखना शुरू कर दिया। कमरे में सन्नाटे को तोड़ते हुए पीछे बैठे शख्स ने पूछा 'मतलब...कैसे?' बिना सवाल पूछने वाले शख्स की तरफ देखे चीफ इंजीनियर ने जवाब दिया 'डिवाइडर पर एलेवेटेड ट्रैक के लिए बनने वाले पिलर को ही यहां इस तरह से डिजाइन करना पड़ेगा ताकि उसपर ट्रैक के साथ 'कैंटी लीवर' बनाकर पूरे स्टेशन को तैयार किया जा सके' सबकी चिंता और परेशानी को भांपते हुए चीफ इंजीनियर ने अपनी आवाज में आत्मविश्वास दिखाते हुए तेज आवाज में कहा 'यह मुमकिन है...' इसके साथ ही मीटिंग खतम हो गई और सभी सिंगार नगर की तरफ रवाना हो गए।
चीफ इंजीनियर ने सिंगार नगर में स्टेशन वाली जगह डिवाइडर पर बन रहे पिलर को अतिरिक्त मजबूती के लिए ज्यादा सरिया और कांक्रीट का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही स्टेशन के दायरे में डिवाइडर पर पिलर्स की संख्या भी बढ़ा दी ताकि स्टेशन की मजबूती को लेकर किसी तरह की आशंका ना रहे। इसके बाद इस पिलर पर जमीन से करीब 12 मीटर पर दोनों तरफ स्टेशन का पूरा प्लेटफॉर्म ढ़ाला जाने लगा। इसमें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम यह था कि स्टेशन के नीचे सड़क की तरफ से मजबूती देने के लिए कोई पिलर नहीं बनाया जाना था। 'क्या देख रहे हो...?' सिंगार नगर स्टेशन की तरफ सिर उठाए देख रहे इंजीनियर की तरफ मुस्कुराते हुए चीफ इंजीनियर ने अपने साथी इंजीनियर से पूछा। कुछ सकपकाते हुए इंजीनियर ने कहा 'कुछ नहीं सर...' फिर थोड़ी देर चुप रहने के बाद दोबारा ऊपर की तरफ देखते हुए बोला 'सर मैं सोच रहा था कि यह गिर तो नहीं जाएगा?' सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन का मैप हाथ में लिए हुए चीफ इंजीनियर ने मजाकिया लहजे में जवाब दिया 'तो क्या तुम यहां खड़े होकर इसलिए ऊपर देख रहे हो ताकि कैंटी लीवर गिरने से बचा सको'। इतना कह दोनों हंसने लगे लेकिन चीफ इंजीनियर खुद भी जानते थे कि जो चुनौती उन्होंने ले ली है, उसे पूरा करना इतना आसान नहीं है। करीब दो महीने महीने तक दिनरात निगरानी और मेहनत के बाद चीफ इंजीनियर अपनी पूरी टीम के साथ सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े थे। ऊपर पूरा प्लेटफॉर्म बिना सड़क की तरफ अतिरिक्त पिलर बनाए तैयार हो चुका था। ऊपर देख रहे साथी इंजीनियरों की पीठ ठोंकते हुए चीफ इंजीनियर मुस्कुराते हुए बोले 'मैने कहा था ना कि यह मुमकिन है' इतना सुनते ही वहां मौजूद सभी खिलखिलाकर हंस पड़े।
..सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन का मैप हाथ में लिए कर्मचारियों से घिरे चीफ इंजीनियर बुदबुदाने लगे 'लगता नहीं कि यहां जमीन मिल पाएगी...' इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पाते उनका मोबाइल बजने लगा। स्क्रीन पर प्रॉजेक्ट मैनेजर का नाम देखते ही उन्होंने दूसरी तरफ से पूछे जाने वाले सवाल की कल्पना कर ली। फोन रिसीव करते ही उनका अंदेशा सही साबित हुआ 'क्या हुआ? सिंगार नगर में काम क्यों नहीं शुरू हो पा रहा है? व्यापारियों के साथ बात ही होती रहेगी या काम भी शुरू होगा? आपको पता तो है ना कि काम समय पर पूरा करने का कितना दबाव है?'
बिना सवालों के जवाब का इंतजार किए प्रॉजेक्ट मैनेजर ने एक के बाद एक कई सवाल दाग दिए। फोन कान में लगाए चीफ इंजीनियर टहलते हुए साथी इंजीनियरों से कुछ दूर आए और बोले 'पूरे आलमबाग के व्यापारी लामबंद हैं। स्टेशन के लिए एक इंच जमीन छोड़ने को तैयार नहीं। इतनी भी जमीन नहीं है कि स्टेशन में एंट्री और एग्जिट के अलग अलग रास्ते बनाए जा सकें। प्रदेश सरकार की हरी झंडी के बावजूद दुकानों में तोड़फोड़ का सीधा मतलब है कि मामला अदालत में चला जाएगा। एक बार कोर्ट कचहरी शुरू हुई तो फैसला आने तक काम करना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच उन्हें फायदे समझाने के साथ ही कार्रवाई की चेतावनी का असर यह हुआ कि व्यापारी दिल्ली जाकर सांसद और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल आए। ऐसे में बल प्रयोग करने से मामला यूपी बनाम दिल्ली हो जाएगा। स्थितियां लगातार जटिल होती जा रही थीं।' इतना बोलकर चीफ इंजीनियर खामोश हो गए और दूसरी तरफ से जवाब का इंतजार करने लगे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने फिर बोलना शुरू किया 'अब हमारे पास एक ही उपाय है कि जितनी जमीन मिली है, उतने में ही स्टेशन बनाने का काम शुरू करा दिया जाए भले ही इसके लिए डिजाइन में बदलाव करन पड़े'। चीफ इंजीनियर की बात सुनने के बाद प्रॉजेक्ट मैनेजर ने उन्हें नई योजना पर काम करने को मंजूरी दे दी। इसके बाद चीफ इंजीनियर ने सभी इंजीनियरों को अपने केबिन में बुला लिया।
मीटिंग कक्ष में चीफ इंजीनियर के सामने टेबल पर सिंगार नगर स्टेशन का मैप रखा हुआ था। सबके आने के बाद चीफ इंजीनियर ने बोलना शुरू किया 'सिंगार नगर में हमें एक पिलर पर ही पूरा स्टेशन बनाना होगा।' इतना सुनते ही इंजीनियरों ने हैरानी के साथ उनकी तरफ देखना शुरू कर दिया। कमरे में सन्नाटे को तोड़ते हुए पीछे बैठे शख्स ने पूछा 'मतलब...कैसे?' बिना सवाल पूछने वाले शख्स की तरफ देखे चीफ इंजीनियर ने जवाब दिया 'डिवाइडर पर एलेवेटेड ट्रैक के लिए बनने वाले पिलर को ही यहां इस तरह से डिजाइन करना पड़ेगा ताकि उसपर ट्रैक के साथ 'कैंटी लीवर' बनाकर पूरे स्टेशन को तैयार किया जा सके' सबकी चिंता और परेशानी को भांपते हुए चीफ इंजीनियर ने अपनी आवाज में आत्मविश्वास दिखाते हुए तेज आवाज में कहा 'यह मुमकिन है...' इसके साथ ही मीटिंग खतम हो गई और सभी सिंगार नगर की तरफ रवाना हो गए।
चीफ इंजीनियर ने सिंगार नगर में स्टेशन वाली जगह डिवाइडर पर बन रहे पिलर को अतिरिक्त मजबूती के लिए ज्यादा सरिया और कांक्रीट का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही स्टेशन के दायरे में डिवाइडर पर पिलर्स की संख्या भी बढ़ा दी ताकि स्टेशन की मजबूती को लेकर किसी तरह की आशंका ना रहे। इसके बाद इस पिलर पर जमीन से करीब 12 मीटर पर दोनों तरफ स्टेशन का पूरा प्लेटफॉर्म ढ़ाला जाने लगा। इसमें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम यह था कि स्टेशन के नीचे सड़क की तरफ से मजबूती देने के लिए कोई पिलर नहीं बनाया जाना था। 'क्या देख रहे हो...?' सिंगार नगर स्टेशन की तरफ सिर उठाए देख रहे इंजीनियर की तरफ मुस्कुराते हुए चीफ इंजीनियर ने अपने साथी इंजीनियर से पूछा। कुछ सकपकाते हुए इंजीनियर ने कहा 'कुछ नहीं सर...' फिर थोड़ी देर चुप रहने के बाद दोबारा ऊपर की तरफ देखते हुए बोला 'सर मैं सोच रहा था कि यह गिर तो नहीं जाएगा?' सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन का मैप हाथ में लिए हुए चीफ इंजीनियर ने मजाकिया लहजे में जवाब दिया 'तो क्या तुम यहां खड़े होकर इसलिए ऊपर देख रहे हो ताकि कैंटी लीवर गिरने से बचा सको'। इतना कह दोनों हंसने लगे लेकिन चीफ इंजीनियर खुद भी जानते थे कि जो चुनौती उन्होंने ले ली है, उसे पूरा करना इतना आसान नहीं है। करीब दो महीने महीने तक दिनरात निगरानी और मेहनत के बाद चीफ इंजीनियर अपनी पूरी टीम के साथ सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े थे। ऊपर पूरा प्लेटफॉर्म बिना सड़क की तरफ अतिरिक्त पिलर बनाए तैयार हो चुका था। ऊपर देख रहे साथी इंजीनियरों की पीठ ठोंकते हुए चीफ इंजीनियर मुस्कुराते हुए बोले 'मैने कहा था ना कि यह मुमकिन है' इतना सुनते ही वहां मौजूद सभी खिलखिलाकर हंस पड़े।
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