(रणविजय सिंह, 22 सितंबर : पार्ट टू)
बिना मूल दस्तावेजों की जांच कराए खेल कोटे से लविवि में हुए दाखिलों में नया खुलासा हुआ है। लविवि एथलेटिक असोसिएशन के पदाधिकारियों ने अभ्यर्थियों के मोबाइल पर दस्तावेजों की व्हाट्सऐप फोटो देखकर ही अप्रूवल दे दिया था। दाखिलों में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद एथलेटिक असोसिएशन और प्रवेश से जुड़े अधिकारियों में हड़कंप मच गया। एथलेटिक असोसिएशन के महासचिव डॉ़ आरबी सिंह ने काउंसलिंग से पहले कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन ना होने की बात मानते हुए बताया कि इन अभ्यर्थियों ने व्हाट्सऐप पर फोटो दिखायी थी। हालांकि अब इन्हें मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
लविवि के स्नातक और पीजी पाठ्यक्रमों में काउंसलिंग से पहले दस्तावेजों के सत्यापन के दो मानक हैं। प्रवेश से जुड़े अधिकारी बिना सिफारिश के आने वाले अभ्यर्थियों से काउंसलिंग के वक्त ही सभी मूल दस्तावेज लाने को कहते हैं और एक भी कागज कम होने पर दाखिला निरस्त कर दिया जाता है। वहीं खेल कोटे से सिफारिशी दाखिलों के लिए यह सख्ती गायब हो जाती है। इस साल खेल कोटे से हुए 30 दाखिलों में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद मानकों मे यह दोहरापन खुलकर सामने आ गया है। आलम यह है कि सिफारिशी दाखिलों के दस्तावेजों का सत्यापन व्हाट्सऐप पर भी कर दिया गया। यही नहीं इसके बाद मूल दस्तावेजों की जांच करने की जहमत भी नहीं उठायी गई। अब मामले का खुलासा हुआ तो उसके बाद भी तुरंत जांच कराने के बजाय संदिग्ध अभ्यर्थियों को एक महीने का समय दे दिया गया। इस बीच दाखिलों में फर्जीवाड़ा का खुलासा होने पर एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री सत्यभान भदौरिया ने एलयू कुलपति डॉ़ एसपी सिंह और प्रवेश समन्वयक प्रो़ अनिल मिश्रा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि एलयू प्रशासन फर्जी खेल सर्टीफिकेट के सहारे दाखिला पाए कुछ छात्रों को बचाने में जुट गया है।
यह बात सही है कि सभी छात्रों के मूल दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो सका था। इनमें से कुछ ने व्हाट्सऐप पर अपने दस्तावेज दिखाए थे। कहीं भी गड़बड़ी की आशंका नहीं है। हालांकि ऐसे अभ्यर्थियों को एक महीने का समय दिया गया है।
डॉ़ आरबी सिंह, महासचिव
लविवि एथलेटिक असोसिएशन
बिना मूल दस्तावेजों की जांच कराए खेल कोटे से लविवि में हुए दाखिलों में नया खुलासा हुआ है। लविवि एथलेटिक असोसिएशन के पदाधिकारियों ने अभ्यर्थियों के मोबाइल पर दस्तावेजों की व्हाट्सऐप फोटो देखकर ही अप्रूवल दे दिया था। दाखिलों में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद एथलेटिक असोसिएशन और प्रवेश से जुड़े अधिकारियों में हड़कंप मच गया। एथलेटिक असोसिएशन के महासचिव डॉ़ आरबी सिंह ने काउंसलिंग से पहले कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन ना होने की बात मानते हुए बताया कि इन अभ्यर्थियों ने व्हाट्सऐप पर फोटो दिखायी थी। हालांकि अब इन्हें मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
लविवि के स्नातक और पीजी पाठ्यक्रमों में काउंसलिंग से पहले दस्तावेजों के सत्यापन के दो मानक हैं। प्रवेश से जुड़े अधिकारी बिना सिफारिश के आने वाले अभ्यर्थियों से काउंसलिंग के वक्त ही सभी मूल दस्तावेज लाने को कहते हैं और एक भी कागज कम होने पर दाखिला निरस्त कर दिया जाता है। वहीं खेल कोटे से सिफारिशी दाखिलों के लिए यह सख्ती गायब हो जाती है। इस साल खेल कोटे से हुए 30 दाखिलों में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद मानकों मे यह दोहरापन खुलकर सामने आ गया है। आलम यह है कि सिफारिशी दाखिलों के दस्तावेजों का सत्यापन व्हाट्सऐप पर भी कर दिया गया। यही नहीं इसके बाद मूल दस्तावेजों की जांच करने की जहमत भी नहीं उठायी गई। अब मामले का खुलासा हुआ तो उसके बाद भी तुरंत जांच कराने के बजाय संदिग्ध अभ्यर्थियों को एक महीने का समय दे दिया गया। इस बीच दाखिलों में फर्जीवाड़ा का खुलासा होने पर एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री सत्यभान भदौरिया ने एलयू कुलपति डॉ़ एसपी सिंह और प्रवेश समन्वयक प्रो़ अनिल मिश्रा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि एलयू प्रशासन फर्जी खेल सर्टीफिकेट के सहारे दाखिला पाए कुछ छात्रों को बचाने में जुट गया है।
यह बात सही है कि सभी छात्रों के मूल दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो सका था। इनमें से कुछ ने व्हाट्सऐप पर अपने दस्तावेज दिखाए थे। कहीं भी गड़बड़ी की आशंका नहीं है। हालांकि ऐसे अभ्यर्थियों को एक महीने का समय दिया गया है।
डॉ़ आरबी सिंह, महासचिव
लविवि एथलेटिक असोसिएशन
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