लविवि की इंजीनियरिंग फैकल्टी के इंटरव्यू के लिए आईआईटी दि से पीएचडी कर चुके अभ्यर्थियों को कॉल लेटर नहीं भेजा गया। नेट, जेआरएफ, एसआरएफ, अपने नाम पेटेंट तक करा चुके और कई अंतर्राष्ट्रीय पेपर प्रकाशित करा चुके अभ्यर्थी भी दरकिनार कर दिए गए। इंटरव्यू में न बुलाए गए अभ्यर्थियों का आरोप है कि इंटरव्यू के लिए जिन 15 अभ्यर्थियों को बुलाया गया है, उनमें से कई ऐसे हैं जो सामान्य पीएचडी किए हुए हैं। लविवि प्रशासन पारदर्शी तरीके से कॉल लेटर भेजे जाने का दावा कर रहा है लेकिन निराश अभ्यर्थियों के मुताबिक शॉर्ट लिस्ट करने का क्राइटेरिया से लेकर मामूली जानकारियां तक ना तो वेबसाइट पर डाली जा रही हैं और ना ही पूछने पर बतायी जा रही हैं।
इंजीनियरिंग फैकल्टी के लिए शुक्रवार तक चले इंटरव्यू को लेकर मनमानी और गड़बड़ियों के आरोप तेज हो गए हैं। कैमिस्ट्री और फिजिक्स के लिए हुए इंटरव्यू में शामिल किए गए अभ्यर्थियों और इससे वंचित हुए अभ्यर्थियों की योग्यता लेकर सवाल उठ रहे हैं। आईआईटी दिल्ली से पीएचडी करने वाले ज्ञानेंद्र ने बताया कि जेआरएफ के बाद पीएचडी के अलावा गेट भी क्लियर किया है। इसके अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय जनरल में रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुका है। इसके बावजूद लविवि ने इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं किया। आईआईटी दिल्ली से ही पीएचडी करने वाले एक अन्य अभ्यर्थी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि उसने भी फिजिक्स विभाग के लिए आवेदन किया था। उन्हें भी इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर नहीं भेजा गया। इन दोनों अभ्यर्थियों ने चयनित हुए अभ्यर्थियों की सूची मांगी तो अधिकारी आनाकानी करने लगे। ज्ञानेंद्र ने बताया कि शॉर्ट लिस्टिंग का पूरा क्राइटेरिया लविवि ने गोपनीय रखा। इंटरव्यू के लिए चयनित अभ्यर्थियों का एपीआई भी सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे जुड़ी जानकारियां वेबसाइट पर भी नहीं डाली गईं। कैमिस्ट्री विभाग के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी देवेंद्र मिश्रा ने किसी तरह लिस्ट प्राप्त की तो उसमें कई अभ्यर्थी ऐसे भी चयनित हुए हैं, जिन्होंने बिना जेआरएफ के ही पीएचडी कर रखी है।
अदालत जाने की तैयारी में परेशान अभ्यर्थी :
मनमानी और गड़बड़ी के आरोपों के बीच अभ्यर्थियों को अपना एपीआई स्कोर तक जानने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि एलयू के रजिस्ट्रार, कुलपति और कुलाधिपति को इस गड़बड़ी से अवगत कराया जा चुका है। इसके बावजूद इंटरव्यू पूरे करवा दिए गए। ऐसे में इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली गई है।
सभी अभ्यर्थियों का मूल्यांकन हमने जिस प्रारूप पर किया है, उसका ब्योरा कुलपति को भेजा जा चुका है। वेबसाइट पर जानकारी नहीं दी गई है लेकिन इसका मतलब गड़बड़ी होना नहीं है। शिकायतें होने की जानकारी है लेकिन सभी का निराकरण किया जाएगा।
डॉ़ आरएस गुप्ता, इंचार्ज
इंजीनियरिंग फैकल्टी