Friday, 21 December 2018

आम आदमी की सड़क, नाली खंडजा के बजट से लामार्ट्स में बनवा दिया स्वीमिंग पूल


रणविजय सिंह, लखनऊ : सड़क, नाली और खड़ंजे के लिए आए बजट से एलडीए के पूर्व उपाध्यक्ष और इंजिनियरों ने लामार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज में ऑडिटोरियम, लिफ्ट, सीसीटीवी सिस्टम, फायर अलार्म और ऑल वेदर स्वीमिंग पूल बनवा दिया। मामले का खुलासा इकॉनमिक ऐंड रेवेन्यू सेक्टर ऑडिट के महालेखाकार की जांच में हुआ। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि एलडीए अधिकारियों ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के निर्देश पर यह काम करवाने की बात कही है, जिसे ऑडिट टीम ने खारिज कर दिया है। ऑडिट टीम के मुताबिक आम जनता के लिए जारी हुई समग्र विकास निधि से निजी संस्था या उसकी इमारत में निर्माण कार्य करवाना किसी भी सूरत में जनहित में लिया गया फैसला नहीं माना जा सकता।
शासन से एलडीए को समग्र विकास निधि (आईडीएफ) के तौर पर मिले 45 करोड़ रुपये का करीब आधा हिस्सा लामार्टीनियर गर्ल्स कॉलेज पर खर्च कर दिया गया। ऑडिट आपत्ति से जुड़े दस्तावेज के मुताबिक एलडीए के पूर्व उपाध्यक्षों और इंजिनियरों ने 22 करोड़ रुपये केवल इस कॉलेज में लगा दिए। नियमों के मुताबिक आईडीएफ से होने वाले किसी भी काम को मंजूरी देने के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में कमिटी बनी हुई है। इस कमिटी में जिलाधिकारी, एलडीए उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त शामिल होते हैं। इसके बावजूद इस पूरे काम को कमिटी के सामने नहीं रखा गया। ऊपर से मिले निर्देश के बाद तत्कालीन एलडीए उपाध्यक्ष ने इन कार्यों का एस्टीमेट बनाया और यह जानते हुए भी काम शुरू करवा दिया कि लामार्टिनियर एक निजी संस्था है और मिशनरीज द्वारा चलाई जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2016 से लामार्टिनियर में शुरू हुआ काम सितंबर 2017 तक चला, जिसका खर्च एलडीए ने आईडीएफ से उठाया।
ऐसे हुआ खर्च
रु 2,74,63000 ऑडिटोरियम और ऑल वेदर स्वीमिंग पूल पार्ट-वन पर
रु 1,58,02,000 लाइटिंग, फायर फाइटिंग, फायर अलार्म, ऑडियो सिस्टम, सीसीटीवी और लिफ्ट पर
रु. 17,76,21,000 ऑडिटोरियम और ऑल वेदर स्वीमिंग पूल पार्ट-2
इन अफसरों के कार्यकाल के दस्तावेजों की हुई जांच
सत्येंद्र सिंह यादव : 28 अगस्त 2016 तक
अनूप यादव : 29 अगस्त 2016 से 23 दिसंबर 2016 तक
सत्येंद्र सिंह यादव : 24 दिसंबर 2016 से 18 अप्रैल 2017 तक
अनिल गर्ग : 19 अप्रैल 2017 से 8 मई 2017 तक
प्रभु एन सिंह : एक जनवरी 2017 से 20 जून 2017 तक
अभी मैंने आपत्तियां पढ़ी नहीं हैं। हालांकि बिना चीफ इंजिनियर की संस्तुति के समग्र विकास निधि से करवाए गए किसी भी काम का भुगतान नहीं हुआ होगा। रिपोर्ट देखने के बाद ही मैं इस बारे में ज्यादा विस्तार से बता सकूंगा।
-राजीव कुमार, वित्त नियंत्रक, एलडीए

अंधी कुतिया को बंधक बनाकर, देसी कुत्ते पकड़वाने की डिमांड


रणविजय सिंह, लखनऊ : 
रसूखदार की शिकायत पर देसी कुत्ते पकड़ने पहुंचे नगर निगम के कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी तो वे इन कुत्तों को रोटी खिलाने वाली महिला की अंधी डॉगी (पॉमेरियन) को उठा ले गए। दो दिन से महिला और उसका बेटा डॉगी को छुड़ाने के लिए नगर निगम के चक्कर लगा रहा हैं, लेकिन अफसर उनसे पहले कुत्ते पकड़वाने को कह रहे हैं। महिला ने शनिवार को नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अरविंद राव, अपर नगर आयुक्त अनिल मिश्रा और नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी से मिलकर उन्हें अपनी कुतिया का टीकाकरण और पंजीकरण से जुड़े दस्तावेज भी दिखाए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
अलीगंज के सेक्टर एल में रहने वाले एक रसूखदार को मुहल्ले में घूमने वाले देसी कुत्तों से परेशानी है। मुहल्ले में ही रहने वाली रेनू मिश्रा इन कुत्तों को रोज रोटी खिलाती हैं। इसे लेकर रसूखदार और रेनू मिश्रा के बीच कई बार नोकझोंक भी हो चुकी है। इस बीच रसूखदार ने नगर निगम अफसरों से शिकायत कर इन्हें पकड़ने का दबाव बनाया। इसपर नगर निगम की टीम ने बुधवार को मुहल्ले में छापा मारा। कैटल कैचिंग दस्ते को देखते ही कुत्ते भाग गए। इनमें से दो कुत्ते रेनू मिश्रा के घर में बैठे थे। नगर निगम की टीम उन्हें पकड़ने पहुंची तो रेनू मिश्रा ने दरवाजा खोलकर उनको भगा दिया। खाली हाथ लौटे कर्मचारियों को नगर निगम अफसरों ने फटकार लगाई तो गुरुवार को नगर निगम के कर्मचारी पुलिस के साथ रेनू मिश्रा के घर पहुंचे। उस समय वो घर पर नहीं थीं। उनके बुजुर्ग पिता ने दरवाजा खोला तो नगर निगम के कर्मचारियों ने भीतर सोई उनकी अल्सेशियन डॉगी को उठा ले गए। इसके बाद रेनू मिश्रा नगर निगम पहुंचीं, लेकिन कोई अधिकारी नहीं मिला। शुक्रवार को कोई अधिकारी नहीं मिला, लेकिन कर्मचारियों ने बताया कि मुहल्ले के देसी कुत्ते पकड़ने का ऊपर से काफी दबाव है। बिना उन्हें पकड़े, डॉगी को नहीं छोड़ा जाएगा। परेशान होकर रेनू शनिवार को अपर नगर आयुक्त से मिलीं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।
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मेरी डॉगी अंधी है। उसका टीकाकरण हो चुका है। बिना मेरे वो कुछ खाती नहीं है। इसके बाद भी उसे उठा ले गए। मैं शपथपत्र देने को तैयार हूं कि मुहल्ले के देसी कुत्तों को कुछ नहीं खिलाऊंगी।
-रेनू मिश्रा, पीड़िता
मुहल्ले में रेनू मिश्रा ने दर्जनों देसी कुत्ते पाले हुए हैं। इन्हें रोज दूध ब्रेड और रोटी खिलाती हैं। इससे मुहल्ले वालों को परेशानी है। उनके घर से जो कुतिया पकड़ी गई, उसका लाइसेंस मांगा गया है। लाइसेंस मिलते ही उसे छोड़ दिया जाएगा।
अनिल मिश्रा, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम

तो क्या बड़े अस्पताल मरीज को भर्ती कर डकैती डालने पर आमादा हैं

समय रहते रजनीश ने अपने नवजात शिशु को अपोलो मेडिक्स से जबरन डिस्चार्ज न कराया होता तो मुझे आशंका है कि 15 से 20 लाख रूपए गंवाने के बाद भी अपन...